घुसपैठियों के द्वारा ‘आधार’ का दुरुपयोग कैसे बंद हो?

घुसपैठियों के द्वारा ‘आधार’ का दुरुपयोग कैसे बंद हो?

सैफ अली खान पर हमला करने वाले बांग्लादेशी घुसपैठिए ने पश्चिम बंगाल के एक अन्य व्यक्ति के ‘आधार’ से हासिल सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था। झारखंड और महाराष्ट्र के बाद अब दिल्ली चुनावों में भी बांग्लादेशी घुसपैठियों पर हल्ला हो रहा है। लेकिन अनुमानित रूप से 3 से 5 करोड़ घुसपैठियों के बारे में गृह मंत्रालय और संसद के पास अधिकृत जानकारी नहीं है।

दूसरी तरफ अमेरिका में 7.25 लाख अवैध भारतीय प्रवासियों का विवरण ट्रम्प सरकार के पास उपलब्ध है। बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की घुसपैठ से केंद्रीय स्तर पर बीएसएफ, चुनाव आयोग और यूआईडीएआई के साथ राज्यों में पुलिस, प्रशासन और नगर निगम का संगठित भ्रष्ट तंत्र उजागर होता है। इन 7 पहलुओं से ‘आधार’ के मर्ज के समाधान की जरूरत है।

1. कानून : आयकर रिटर्न, बैंक खाता, ईपीएफओ, बीमा और वित्तीय लेन-देन में पैन कार्ड के जरिए ‘आधार’ जरूरी है। गरीबों के लिए 430 से ज्यादा सरकारी योजनाओं, नगद ट्रांसफर और सब्सिडी के लिए भी ‘आधार’ अनिवार्य है। लगभग 99.9 फीसदी वयस्क आबादी के ‘आधार’ के दायरे में आने के बावजूद यह कानूनी तौर पर अनिवार्य नहीं है। मनी बिल और फिर पीएमएलए कानून में बदलाव से पिछले दरवाजे से ‘आधार’ को अनिवार्य करने की कोशिश से दोहरापन और समस्याएं और बढ़ी ही हैं।

2. आउटसोर्सिंग : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा था कि घुसपैठियों को ‘आधार’ नहीं मिलना चाहिए। निजी नामांकन एजेंसियों के माध्यम से आउटसोर्स वाले आधार कार्ड में सरकारी होलोग्राम होने के बावजूद सक्षम अधिकारी द्वारा कार्ड की जांच नहीं होती। फर्जी आधार कार्ड के आधार पर जारी लाखों सिम कार्ड को रद्द किया जा रहा है। दिल्ली में एक महीने में पुलिस ने 16 हजार संदिग्ध बांग्लादेशियों के दस्तावेजों की जानकारी यूआईडीएआई से मांगी है।

3. वोटर लिस्ट : दिल्ली में भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने एफआईआर दर्ज कराई है कि उनके आवासीय पते पर बगैर उनकी सहमति व फर्जी दस्तावेज के आधार पर धोखाधड़ी से वोटर कार्ड बनवाया गया है। अगर सांसद के आवास के पते पर इतनी आसानी से वोटर कार्ड बन रहे हैं तो फिर आधार कार्ड का तो भगवान ही मालिक है, जहां निवास या पते का कोई वेरिफिकेशन नहीं होता!

ऐसे में वोटर लिस्ट को ‘आधार’ के साथ जोड़ने से नागरिकता का फर्जीवाड़ा कैसे खत्म होगा? सितम्बर 2024 में बीएसएफ ने यूआईडीएआई को पत्र लिखकर बांग्लादेशियों को दिए गए आधार कार्ड रद्द करने की मांग की थी।

4. सत्यापन : ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने की जल्दबाजी में ‘आधार’ में वेरिफेकिशन नियमों को लागू नहीं किया गया। अब पोस्ट ऑफिस के 48 हजार डाकियों के माध्यम से लोगों को घर बैठे मोबाइल नम्बर और पता अपडेट कराने की सहूलियत की बात हो रही है। करोड़ों कार्ड बनने के बाद यूपी पुलिस ने कहा कि भौतिक सत्यापन के बाद ही आधार कार्ड बनेंगे। सत्यापन बगैर करोड़ों आधार कार्ड जारी करने के बाद अब यह दावा किया जा रहा है कि ‘आधार’ पहचान का प्रमाण-पत्र है, नागरिकता या जन्मतिथि का नहीं।

5. बायोमैट्रिक : आधार सिस्टम में सिलिकॉन और लाइव फिंगर प्रिंट में फर्क करने की क्षमता नहीं है। हाथों के बजाय पैरों के निशान, आंख व अंगूठे की क्लोनिंग और बायोमैट्रिक मशीनों को क्लोन करके फर्जी कार्ड बन रहे हैं। कैग ने यूआईडीआई के कामकाज पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 4.75 लाख से ज्यादा आधार कार्डों में एक जैसी बायोमैट्रिक जानकारियां पाई गई हैं।

6. साइबर अपराध : करोड़ों लोगों का आधार डेटा सोशल मीडिया, डिजिटल पेमेंट कम्पनियों और डार्क वेब में उपलब्ध है। सरकार ने 16 अंकों की वर्चुअल आईडी और चार डिजिट वाले मास्क्ड आधार कार्ड का प्रारूप जारी किया, लेकिन उनके प्रसार या उन्हें अनिवार्य बनाने के लिए विशेष प्रयास नहीं किया। आधार में 12 अंक महत्वपूर्ण हैं। उसके बजाय आधार कार्ड को प्रमुखता देने से गोलमाल हो रहा है। ‘आधार’ चुराकर बैंक खाते और सिम कार्ड बेचने वाले गिरोहों की वजह से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं।

7. फोटोकॉपी : फर्जी ‘आधार’ का पासपोर्ट, पैन, बैंक खातों के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता, क्योंकि वो जांच में गलत निकलेंगे। जबकि बोगस दस्तावेजों के आधार पर सरकार से हासिल असली आधार कार्ड से सिम या पैन कार्ड लिए जा सकते हैं। ‘आधार’ की फोटोकॉपी को अनधिकृत लोगों से साझा करने पर रोक लगाने के लिए यूआईडीएआई ने 27 मई 2022 को जो आदेश जारी किया था, उस पर पूरे देश में अमल करना जरूरी है।

बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की घुसपैठ से केंद्रीय स्तर पर बीएसएफ, चुनाव आयोग और यूआईडीएआई के साथ राज्यों में पुलिस, प्रशासन और नगर निगम का संगठित भ्रष्ट तंत्र उजागर होता है। ‘आधार’ के मर्ज का इलाज जरूरी है।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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