सरकार चुनने में आधी आबादी ने किया पूरा काम

 सरकार चुनने में आधी आबादी ने किया पूरा काम, यही बताते हैं 22 साल में छह बार के आंकड़े

चुनाव आयोग भी नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए पिंक बूथ जैसी पहल करता है। दिल्ली विधानसभा की सियासत में बीते 22 साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो राजधानी में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में पुरुषों से ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है।
Delhi Elections: women voters did all the work in electing the government.
सांकेतिक तस्वीर – फोटो : PTI

राजधानी में जब-जब सरकार चुनने का वक्त आता है, तब-तब महिलाएं सबसे आगे रहती हैं। चुनाव आयोग भी नारी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए पिंक बूथ जैसी पहल करता है। दिल्ली विधानसभा की सियासत में बीते 22 साल के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो राजधानी में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में पुरुषों से ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है।

वर्ष 1998 से 2020 तक राजधानी में छह बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। हर बार पिछले चुनाव की तुलना में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं की भागीदारी ज्यादा रही है। वर्ष 1998 से 2015 के बीच महिलाओं के मतदान प्रतिशत में 20.08 और पुरुषों के मतदान प्रतिशत में 16.74 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, वर्ष 2020 में पुरुषों की 62.62 और महिलाओं ने 62.55 फीसदी मतदान किया था।

2008 में 81 महिला उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव
चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 2008 के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 81 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इसके बाद 2013 और 2015 के चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या में कमी देखने को मिली थी। 1993 में 59, 1998 में 57, 2003 में 78, 2008 में 81, 2013 में 71 और 2015 में 66 और 2020 में 79 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था।

1998 में 46.41 प्रतिशत रहा मतदान प्रतिशत
वर्ष 1998 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो उस दौरान महिलाओं का मतदान प्रतिशत 46.41 था। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में 20.08 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 66.49 फीसदी रहा। वहीं, पुरुषों की बात करें तो 50.89 से बढ़कर 67.63 फीसदी पर पहुंचा, यानी पुरुषों के मतदान प्रतिशत में 16.74 फीसदी की ही वृद्धि हुई है।

मदनलाल खुराना के समय बंपर वोटिंग
वर्ष 1993 में जब दिल्ली को मदन लाल खुराना के रूप में भाजपा का पहला सीएम मिला, उस वक्त बंपर वोटिंग हुई थी। उस चुनाव में 61.75 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें पुरुषों का मतदान प्रतिशत 64.56 और महिलाओं का मतदान प्रतिशत 58.27 फीसदी रहा था, लेकिन इसके बाद वर्ष 1998 में मतदान प्रतिशत 12.76 फीसदी कम हुआ। हालांकि, इसके बाद से दिल्ली में मतदान का स्तर हर चुनाव में तेजी से बढ़ रहा है।

96 महिला उम्मीदवार कर रहीं दावेदारी पेश इस बार
इस बार के विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या अब तक हुए सभी चुनावों की तुलना में सबसे अधिक है। इस बार 96 महिलाएं अलग-अलग विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं। मौजूदा विधानसभा चुनाव में 96 महिला उम्मीदवार हैं। इसके बावजूद 70 में से 21 विधानसभा ऐसी हैं, जहां एक भी महिला प्रत्याशी नहीं है। इसमें अंबेडकर नगर, बाबरपुर, बदरपुर, बादली, चांदनी चौक, दिल्ली कैंट, द्वारका, गांधी नगर, जंगपुरा, रोहिणी, संगम विहार, शाहदरा, तिमारपुर, बुराड़ी, मोती नगर, मॉडल टाउन, राजिंदर नगर समेत अन्य विधानसभा शामिल है।

2013 के बाद सबसे ज्यादा उम्मीदवार
इस बार के विधानसभा चुनाव में 2013 के विधानसभा के बाद सबसे ज्यादा उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। 2013 में 810 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। इसमें 739 पुरुष और 71 महिला उम्मीदवार शामिल थे। इसके बाद हुए चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या कम होती गई। 2015 के चुनाव में 673 उम्मीदवार थे। इसमें 606 पुरुष और 66 महिला उम्मीदवार शामिल थीं। 2020 के चुनाव में कुल 672 उम्मीदवारों ने ताल ठोकी। इसमें पुरुष उम्मीदवार 593 थे। जबकि 79 महिला उम्मीदवार शामिल थीं। इस बार 699 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

पिछले विधानसभा चुनावों में महिलाओं का मत प्रतिशत
            वर्ष————–पुरुष————महिला———-कुल वोटिंग

  • 1998————50.89———–46.41————48.99
  • 2003————54.89———–51.53————53.43
  • 2008————58.34———–56.62————57.58
  • 2013————66.03———–65.14————65.63
  • 2015————67.63———–66.49————67.13
  • 2020————62.59———–62.51————62.55

(नोट : आंकड़े चुनाव आयोग के मुताबिक)

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