संभागायुक्त को परमिट देने का अधिकार !
भोपाल सहित प्रदेशभर के विभिन्न रूटों पर बसों की उपलब्धता का रास्ता साफ हो गया है। परिवहन विभाग अब बस ऑपरेटरों को स्थाई परमिट जारी कर सकेगा। इस कड़ी में राज्य सरकार ने 10 साल बाद सदस्यीय रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) का गठन कर दिया है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर विवेक शर्मा ने बताया कि सभी 10 संभागों के संभागायुक्त इस अथॉरिटी के हेड होंगे।
बसों के पेंडिंग परमिट की सुनवाई कर अलॉटमेंट दे सकेंगे। 2015 से 2019 तक परिवहन विभाग के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को बसों के स्थाई परमिट देने के अधिकार रहे हैं। 2019 में हाई कोर्ट के निर्देश के बाद डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से यह अधिकार छिन गए थे।
नई व्यवस्था के तहत अब बसों के लिए जो स्थाई परमिट जारी होंगे, उनकी अवधि पांच साल के लिए होगी।
इंदौर में सबसे अधिक स्थाई परमिट लंबित
इंदौर संभाग में 1,488, जबलपुर में 1,232, ग्वालियर में 1,265, उज्जैन में 1,188 और भोपाल संभाग में 835 परमिट लंबित हैं। वहीं, चंबल में सबसे कम 345, शहडोल में 395 और रीवा में 965 स्थाई परमिट पेंडिंग हैं। वहीं पूरे प्रदेश में 9,523 स्थाई परमिट पेंडिंग हैं।