इलेक्ट्रिक व्हीकल का भविष्य ?

 इलेक्ट्रिक व्हीकल का भविष्य: चार्जिंग स्टेशन की कमी, क्या यही है सबसे बड़ी बाधा?

इलेक्ट्रिक गाड़ियां तो खूब नई-नई आ रही हैं, लेकिन एक बड़ा सवाल है कि क्या देश में चार्जिंग स्टेशनों की कमी और स्टेशन की खराब हालत के कारण लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने से कतरा रहे हैं?

2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री में 27% तक बढ़ने की संभावना है. यानी, हर चार गाड़ियों में से एक इलेक्ट्रिक व्हीकल होगी. लेकिन इस सपने को सच करने के लिए कुछ चुनौतियों का सामना करना होगा. उनमें से सबसे बड़ी चुनौती है चार्जिंग स्टेशनों की कमी और उनकी खराब हालत.

क्या भारतीय पसंद कर रहे हैं इलेक्ट्रिक गाड़ी?
साल 2024 में देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है. पूरे साल में कुल 19.50 लाख इलेक्ट्रिक गाड़ियां बिकीं. अगर बात करें कि कुल गाड़ियों की बिक्री में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का कितना हिस्सा है, तो ये 7.44% रहा. यानी, हर 100 गाड़ियों में से लगभग 7 गाड़ियां इलेक्ट्रिक थीं. ये आंकड़े ‘VAHAN’ नाम के पोर्टल से लिए गए हैं, जिस पर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन होता है.

2014-15 में जहां EV वाहनों की हिस्सेदारी मात्र 0.01% थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 7.31% तक पहुंच गई है. यानी लोग अब धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक गाड़ियों को पसंद करने लगे हैं. सरकार भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिसका असर दिख रहा है.

2014-15 से इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन कितना बढ़ा?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के ई-वाहन पोर्टल के अनुसार, 2014-15 से अब तक इलेक्ट्रिक गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की संख्या कई गुना बढ़ी है. 2014-15 में कुल 193.98 लाख आईसीई (ICE) गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ था, वहीं ईवी रजिस्ट्रेशन केवल 0.02 लाख था, जो कुल रजिस्ट्रेशन का 0.01% था. अगले कुछ सालों में ईवी रजिस्ट्रेशन में धीमी लेकिन स्थिर वृद्धि देखी गई. 2018-19 में ईवी का रजिस्ट्रेशन 1.47 लाख तक पहुंच गया, जो कुल रजिस्ट्रेशन का 0.58% था.

इलेक्ट्रिक व्हीकल का भविष्य: चार्जिंग स्टेशन की कमी, क्या यही है सबसे बड़ी बाधा?

2021-22 में एक बड़ा बदलाव देखा गया, जब ईवी रजिस्ट्रेशन बढ़कर 4.59 लाख हो गया, ये कुल पंजीकरण का 2.49% था. 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 16.81 लाख हो गया, जो कुल रजिस्ट्रेशन का 6.82% था. फिर 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 17.84 लाख हो गया, ये कुल रजिस्ट्रेशन का 7.31% रहा.

चार्जिंग स्टेशन की कमी, क्या यही है सबसे बड़ी बाधा?
यह सच है कि भारत में अभी भी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या कम है, खासकर हाईवे और ग्रामीण इलाकों में काफी ज्यादा कमी है. अभी देशभर में जो चार्जिंग स्टेशन हैं, उनमें से कुछ में सुविधाएं अच्छी नहीं है. इससे लोगों के मन में चिंता बनी रहती है कि कहीं रास्ते में बैटरी खत्म हो गई तो क्या होगा.

इस समस्या पर लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत सरकार चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है. FAME-II योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन पब्लिक चार्जिंग स्टेशन (EVPCS) स्थापित करने के लिए 839 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इस योजना के तहत देशभर में 2877 चार्जिंग स्टेशन बनाए जा रहे हैं. इसी तरह PM E-DRIVE योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के लिए 2000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

सरकार राज्यों के साथ मिलकर चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को सरल और स्पष्ट बना रही है. प्राइवेट कंपनियों को चार्जिंग स्टेशन खोलने के लिए प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं. बैटरी स्वैपिंग और फास्ट चार्जिंग तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि चार्जिंग में लगने वाला समय कम किया जा सके.

यानी, सरकार चार्जिंग स्टेशनों की समस्या को दूर करने के लिए प्रयास कर रही है. हालांकि, अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. यह कहना मुश्किल है कि चार्जिंग स्टेशनों की कमी सरकार की नीतियों के कारण है या नहीं. लेकिन यह जरूर है कि सरकार को इस दिशा में और तेजी से काम करना होगा.

EV चार्जिंग स्टेशन के लिए सरकार की नई नीतियां
इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए चार्जिंग स्टेशन बनाना और उनकी देखभाल करना बहुत जरूरी है. इसके लिए सरकार ने कुछ नीतियां बनाई हैं. बिजली मंत्रालय (MoP) ने 17 सितंबर 2024 को ‘इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थापना और संचालन के लिए दिशानिर्देश-2024’ जारी किए हैं. इसमें बताया गया है कि देश में EV चार्जिंग स्टेशन कैसे लगाए जाएंगे और कैसे काम करेंगे.

MoP ने 10 जनवरी 2025 को ‘बैटरी स्वैपिंग और चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना और संचालन के लिए दिशानिर्देश’ भी जारी किए हैं. ये दिशानिर्देश देश में EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में मदद करेंगे. उम्मीद है कि इन नीतियों से देश में EV चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होगा और लोगों को EV इस्तेमाल करने में आसानी होगी.

इलेक्ट्रिक व्हीकल का भविष्य: चार्जिंग स्टेशन की कमी, क्या यही है सबसे बड़ी बाधा?

EV: 2030 तक क्या है भारत का लक्ष्य?
भारत सरकार ने साल 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक गाड़ियां सड़क पर लाने का लक्ष्य रखा है. हाल ही में पेश हुए बजट में सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-आयन बैटरी बनाने के लिए जरूरी मशीनों के आयात पर कस्टम ड्यूटी नहीं लेने का ऐलान किया है. इससे बैटरी बनाने का खर्च कम होगा और इलेक्ट्रिक गाड़ियां सस्ती होंगी.

FAME II योजना 1 अप्रैल 2019 को शुरू हुई थी और इसके लिए 1.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर (10,000 करोड़ रुपये) का बजट रखा गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि बनाए गए या प्रोसेस किए गए उत्पादों का 30% हिस्सा छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) से खरीदना होगा. इस योजना का मुख्य लक्ष्य पब्लिक और शेयर्ड ट्रांसपोर्ट को इलेक्ट्रिक बनाना है.

FAME इंडिया योजना के दूसरे चरण में 13 लाख 41 हजार 459 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर्स को 5790 करोड़ रुपये (693 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की सब्सिडी दी गई है. इस योजना का उद्देश्य 7090 ई-बसों, 5 लाख ई-3 व्हीलर्स, 55000 ई-4 व्हीलर पैसेंजर कारों और 10 लाख ई-2 व्हीलर्स के लिए मांग प्रोत्साहन प्रदान करना है.

 इसके अलावा, यह योजना चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का भी समर्थन करती है. दिसंबर 2023 तक FAME इंडिया योजना के दूसरे चरण के तहत 11 लाख 79 हजार 669 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चर्स को 637 मिलियन अमेरिकी डॉलर (5294.00 करोड़ रुपये) की सब्सिडी मिली.

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