खुश रहने के लिए अपनी खुद की स्टाइल खोजें ?

खुश रहने के लिए अपनी खुद की स्टाइल खोजें

9 मार्च को मैं भोपाल से हैदराबाद जा रहा था। वो छोटा विमान था, जिसमें आगे की दो कतारें एक-दूसरे के सामने थीं, जैसे डायनिंग टेबल पर बैठते हैं और वहां बैठने वाले यात्रियों में मैं भी एक था। मेरे आगे बढ़िया जींस, वाइट टी-शर्ट, स्पोर्ट्स शूज़ पहने सज्जन आकर बैठे।

हमारे पीछे दूर की कतार में बैठे बिजनेसमैन फुर्ती दिखाते हुए अचानक आए और उन सज्जन को नमस्कार करते हुए कुछ टिप्पणी की, जिस पर मैंने गौर नहीं दिया। हालांकि उनका जवाब सुनकर मैंने टिप्पणी का अंदाजा लगाया।

जवाब था, ‘मेरी हेल्थ को लेकर आपके इस कमेंट को मैं कॉम्प्लिमेंट की तरह लेता हूं, थैक्यू’ अब आपने अंदाजा लगा लिया होगा कि उन महाशय ने क्या कहा होगा- उन्होंने शायद उनसे कहा होगा कि इन दिनों आपने कुछ ज्यादा ही वजन बढ़ा लिया है।

इस टिप्पणी के बाद उनका जवाब मुझे अच्छा लगा और मेरे कान आगे की बात सुनने बेताब थे। पर वो बिजनेसमैन अपनी सीट पर बैठ गए और फिर दो घंटे की फ्लाइट में चर्चा के लिए वापस नहीं आए, जबकि इस बीच हमने इकोनॉमी, पॉलिटिक्स, लोगों के व्यवहार से लेकर पब्लिक पॉलिसी पर बात की।

जींस-टीशर्ट में मौजूद वो शख्स 2001 बैच के आईएएस अधिकारी और मप्र में पीएचई विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरि थे। दिलचस्प बात थी कि विमान से निकलते हुए नरहरि ने उन्हीं बिजनेसमैन से ऐसे बात की, मानो कुछ हुआ ही न हो।

इस रविवार को मुझे ये घटनाक्रम तब याद आ गया, जब एक घटना सुनी। अहमदाबाद में रहने वाली 25 वर्षीय एक महिला ने एक व्यक्ति के खिलाफ यह कहते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसने तथाकथित रूप से उसकी हाइट का मजाक उड़ाया और इसके बाद हुई बहस में उसने उसके सिर पर मारा।

मुझे इस केस की डीटेल में रुचि जागी। यह घटनाक्रम तब हुआ, जब एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी में काम कर रही यह महिला इस शनिवार की दोपहर को अपने दो दोस्तों के साथ पानी-पूरी खा रही थी और एक कॉमन फ्रेंड भी वहां आ गया, जिसने तथाकथित रूप से उसकी हाइट पर टिप्पणी की।

महिला ने शिकायत में बताया, ‘उस लड़के ने मुझे कहा कि अगर मेरे माता-पिता ने बचपन में मेरे हाथ-पैर खींचकर लटकाया होता, तो मैं लंबी होती। मैंने उससे कहा था कि मेरी हाइट या शरीर पर टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है। यहां तक कि उसके दोस्त भी उस पर हंसे और मजाक उड़ाया, जिसके बाद उसने उस कॉमन फ्रेंड लड़के से बात नहीं की।’

ज्यों ही वे निकल रहे थे, शिकायतकर्ता ने आरोपी से कहा, ‘वह दोबारा उसकी शक्ल नहीं देखना चाहती।’ इससे गुस्सा होकर आरोपी ने उस पर भद्दा कमेंट किया और कार में बैठने के बाद कहा कि वह लड़कियों पर हाथ नहीं उठाता, नहीं तो दिखा देता।

महिला ने शिकायत में बताया कि मैंने उसे कहा कि हिम्मत है तो छूकर दिखाओ, इसके बाद वो कार से उतरा और मेरे सिर के बाएं हिस्से में तीन बार मारा। तब दोस्तों ने मुझे बचाया। अपने पिता की सलाह के बाद इस रविवार को उस महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

मैं आजकल देखता हूं कि बात करने के लिए ठोस मुद्दा नहीं होने के कारण लोग एक-दूसरे के लुक्स के आधार पर उन्हें जज करने लगे हैं- तुम बहुत दुबली-पतली हो, लंबी/लंबे हो, नाटे हो या ड्रेस खराब है। और जब लोग ऐसे कमेंट्स सुनते हैं, तो भावनाओं को काबू कर पाना मुश्किल हो जाता है और यही कारण है कि मैंने नरहरि के पब्लिक बिहेवियर का जिक्र किया।

मनोविशेषज्ञ सलाह देते हैं कि जो लोग आत्मविश्वास में कमी के शिकार हैं, उन लोगों को यह निर्णय कर लेना चाहिए कि मेरा लुक कैसा होना चाहिए और उसके मुताबिक ड्रेसअप करना चाहिए। हालांकि बाहरी लोग वैसे भी आपको जज करेंगे।

ये सुनने में आसान लगता है पर अमल में लाना मुश्किल, लेकिन ये एकमात्र तरीका है। जब आप जवान होते हैं, तब तो ये और भी मुश्किल हो जाता है। याद रखें कि कैट विंसलेट और एंजेलिना जोली जैसी एक्ट्रेस भी अपने लुक्स पर ऐसी टिप्पणियों की शिकार हो चुकी हैं।

फंडा यह है कि अगर आप अपनी स्टाइल का तरीका खोज लें और उसके हिसाब से ड्रेसिंग करें, तब इससे न िसर्फ आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि अंदर से भी खुश रहेंगे।

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