कोरोना: फार्मा इंडस्ट्री ने दूर की टेंशन, कहा- भारत और दुनिया को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन खिलाने की है ताकत

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के प्रभावशाली पाए जाने के बाद दुनिया में इसकी मांग बढ़ गई है। अमेरिका सहित दुनिया के कई देश भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मांग रहे हैं। मंगलवार को भारत ने इसके निर्यात से रोक हटा ली है। इस बीच फार्मा सेक्टर ने भरोसा दिलाया है कि देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का पर्याप्त स्टॉक है। साथ ही दवा कंपनियों देश और दुनिया की मांग के मुताबिक उत्पादन बढ़ाने को तैयार हैं।
कोरोना वायरस से निपटने में सहयोग की प्रतिबद्धता जताते हुए भारत ने मंगलवार को मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात से आंशिक तौर पर बैन हटा लिया है। कोरोना मरीजों पर इसके अच्छे प्रभाव की बात सामने आने के बाद 25 मार्च को भारत सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी।

भारत इस दवा का सबसे बड़ा निर्यातक है। इंडियन फार्माश्युटिकल अलायंस (आईपीए) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, ‘भारत दुनिया में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के कुल खपत का 70 फीसदी उत्पादन करता है। जाइडस काडिला और आईपीसीए जैसी कंपनियां देश में इसकी बड़ी उत्पादक हैं।’

उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा मांग को पूरी करने के लिए उत्पादन क्षमता पर्याप्त है। यदि आवश्यकता बढ़ती है तो कंपनियां उत्पादन बढ़ाने को तैयार हैं। जैन ने कहा, ‘सरकार ने 12 उत्पादों और इनके मिश्रण से प्रतिबंध हटा लिया है। सभी पहलुओं की समीक्षा की जा रही है। घरेलू मांग और निर्यात के लिए पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की मांग को पूरा किया जाएगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि बेवजह खरीदारी और जमाखोरी को रोका जाए। जरूरतमंद मरीजों में इसके सही बंटवारा सुनिश्चित किया जाए।

इंडियन ड्रग मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन के एग्जीक्युटिव डायरेक्टर अशोक कुमार मदन ने कहा, ‘भारत को एक साल में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की 2.4 करोड़ टैबलेट की जरूरत होती है। भारत में अभी सालाना 40 मीट्रिक टन कच्चा माल से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बनाने की क्षमता है। इससे हम 200 एमजी के 20 करोड़ टैबलेट बना सकते हैं।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *