नियमन से बड़ी कंपनियों की तुलना में सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योग यानी एमएसएमई सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। यह ऐसा उद्योग है, जो अलग-थलग नहीं रह सकता। इनकी चुनौतियों का समाधान समूहों में किया जाना चाहिए।
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा, आज के छोटे उद्योग कल के बड़े उद्योग बनेंगे। प्रधानमंत्री ने विनियमन हटाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में एक कार्यबल इस पर काम कर रहा है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम में सुब्रमण्यम ने कहा, सरकार को इस उद्योग का मार्गदर्शन करना चाहिए। उन्हें सूक्ष्म से लघु, लघु से मध्यम और मध्यम से बड़े उद्यमों में बदलना चाहिए।
भारत तब तक विकसित राष्ट्र नहीं बन सकता, जब तक वह अपने मानकों और विनिर्माण प्रणालियों को नहीं बढ़ाता। सीईओ ने एमएसएमई के सामने आने वाली तीन मुख्य चुनौतियों को रेखांकित किया। इसमें प्रौद्योगिकी में सुधार, कुशल कार्यबल और क्वालिटी सर्टिफिकेशन शामिल हैं।
विनियमनों से वित्तीय समावेशन की राह में बाधाएं उत्पन्न न हों: गवर्नर
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि विनियमनों से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में अनपेक्षित बाधाएं उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के कार्यक्रम में मल्होत्रा ने कहा, नीति निर्माताओं को भी सावधान रहना चाहिए व अपने उपायों को लेकर अति उत्साही नहीं होना चाहिए। वैध गतिविधियों को दबाया नहीं जाना चाहिए। मल्होत्रा ने कहा, कानूनों और विनियमों का केवल अवैध व गैरकानूनी लोगों पर ही लक्ष्य होना चाहिए, न कि उन्हें ऐसे कुंद हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए जो अनजाने में ईमानदार लोगों को चोट पहुंचाते हों।