Delhi : फर्जी फार्मेसी पंजीकरण गिरोह का भंडाफोड़ ?
Delhi : फर्जी फार्मेसी पंजीकरण गिरोह का भंडाफोड़, 47 गिरफ्तार; सत्येंद्र जैन ने की थी रजिस्ट्रार की नियुक्ति

दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने राजधानी फार्मेसी पंजीकरण में हो रहे फर्जीवाड़ा का पर्दाफाश किया है। इस मामले में दिल्ली फार्मेसी काउंसिल का पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह, एक क्लर्क, 6 दलाल, एक प्रिंटिंग शॉप मालिक, 3 अलग-अलग फार्मेसी कॉलेज के कर्मचारी और 35 फर्जी फार्मासिस्ट सहित 47 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। जांच में सामने आया है कि फर्जी और जाली दस्तावेजों के आधार पर कई फार्मासिस्ट का पंजीकरण किया गया, इसके जरिए राजधान में अवैध रूप से फार्मेसी व्यवसाय चलाए जा रहे थे।
कुलदीप सिंह की नियुक्ति 2020 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने की थी। इस गिरोह के पकड़े जाने से फर्जी दस्तावेज के आधार पर कई फार्मासिस्टों के फर्जी पंजीकरण के बारे में पता चला। फर्जी फार्मासिस्ट दिल्ली के कई केमिस्ट की दुकानों पर काम करते हुए पाए गए। जांच से पता चला कि पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके कई फार्मासिस्टों के पंजीकरण को अवैध रूप से मंजूरी दी थी। यह घोटाला एक निजी फर्म के माध्यम से किया गया जिसे्र निविदा प्रक्रिया के बिना आनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया के सौंपी गई थी।
एसीबी ने कुलदीप सिंह के खिलाफ केस दर्ज जांच के लिए सतर्कता निदेशालय से अनुमति मांगी। अनुमति मिलने के बाद एसीपी जरनैल सिंह की टीम ने मामले में कुलदीप सिंह समेत 47 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि कुलदीप सिंह ने करीब 5000 अभ्यर्थियाें को फार्मासिस्ट का पंजीकरण कर उन्हें डिग्री जारी की है, जिनमें 70 प्रतिशत फर्जी पाए जाने की आशंका है। अब तक 500 से अधिक उम्मीदवारों की जाचं की गई है। कुलदीप सिंह ने अपने कार्यकाल (17 मार्च 2020 से 25 सितंबर 2023) के दौरान 4928 फार्मासिस्टों का रजिस्ट्रेशन मंजूर किया, जिसमें से पहले चरण में 35 फर्जी पंजीकरण वाले फार्मासिस्टों को गिरफ्तार किया गया है। बाकी की जांच जारी है।
अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार नीरज नामक आरोपी कंप्यूटर के जरिये 12वीं का फर्जी सर्टिफिकेट, फार्मेसी में डिप्लोमा व इंटर्नशिप का फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर संजय नाम के आरोपित को सौंप देता था। संजय उक्त सर्टिफिकेट को अभ्यर्थियों को देकर उन्हें दिल्ली फार्मेसी काउंसिल में आनलाइन आवेदन करने कहता था। आवेदन करने पर कुलदीप सिंह सरदार पटेल कालेज अबोहर, पंजाब, मीरा कालेज अबोहर, पंजाब, बागपत इंस्टीट्यूट बागपत, बाबा इंस्टीट्यूट आफ फार्मेसी मुजफ्फर नगर को ईमेल भेजकर पूछता था कि क्या उक्त अभ्यर्थियों के दस्तावेज सही हैं। जिस पर संजय उक्त कालेजों के क्लर्कों से संपर्क कर उन्हें रिश्वत देकर दस्तावेज सही होने का सत्यापन करवा लेता था।
जांच में यह तथ्य आए सामने…
- ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया एक निजी फर्म ””वीएमसी”” के जरिए 21 जुलाई 2020 से शुरू की गई थी, जिसे बिना टेंडर प्रक्रिया के नियुक्त किया गया
- फर्जी डिप्लोमा और प्रशिक्षण प्रमाणपत्र अपलोड कर पंजीकरण कराया गया, जिनकी पुष्टि कॉलेज कर्मचारियों ने फर्जी ईमेल के जरिए की
- मुख्य दलाल संजय के जरिए रिश्वत ली जाती थी, जो डिप्लोमा कॉलेजों के बीच मध्यस्थ था
- कई आवेदकों ने एक से अधिक आवेदनों में अलग-अलग दस्तावेज अपलोड किए, लेकिन बिना आपत्ति के मंजूर कर लिए गए
- कुलदीप सिंह ने 16 अगस्त 2023 को पद छोड़ने के बाद भी अपने निजी ईमेल से 232 अतिरिक्त पंजीकरण मंजूर किए
- बाहरी दिल्ली के शाहबाद डेयरी निवासी नीरज नामक डिजाइनर ने फर्जी प्रमाणपत्र छापने का काम किया, इसके कंप्यूटर से कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए
- जांच में पता चला कि दिल्ली में कई फार्मासिस्ट और केमिस्ट बिना 12वीं पास किए फर्जी पंजीकरण कर मेडीकल चला रहे थे
गिरफ्तार मुख्य आरोपी..
- कुलदीप सिंह: दिल्ली फार्मेसी काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार, शाहदरा, दिल्ली
- मुकेश कुमार शर्मा :दिल्ली फार्मेसी काउंसिल में संविदा क्लर्क, रोहिणी, दिल्ली
- संजय कुमार: मुख्य दलाल, नरेला, दिल्ली
- नीरज: प्रिंटिंग शॉप मालिक, शाहबाद, दिल्ली