अराजकता के सहारे, बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हिंसा !
वक्फ संपत्तियों की देखरेख मजहबी मामला नहीं है और यदि एक क्षण के लिए ऐसा मान लिया जाए तो भी मजहब के नाम पर किसी को मनमानी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। वक्फ बोर्ड यही करने में लगे हुए थे। यह पहली बार नहीं है जब किसी कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरकर उपद्रव किया जा रहा हो।
बंगाल में वक्फ कानून को लेकर हिंसा का सिलसिला जिस तरह तेज और सांप्रदायिक होता जा रहा है, वह तुष्टीकरण और दुष्प्रचार की खतरनाक राजनीति का प्रतिफल है। इस नतीजे पर पहुंचने के पर्याप्त और ठोस कारण हैं कि नए वक्फ कानून को लेकर कुछ राजनीतिक दल मुस्लिम समाज को जानबूझकर सड़कों पर उतारने में लगे हुए हैं। वे उसे अराजकता के लिए उकसा भी रहे हैं।
अराजकता फैलाने वाले किस तरह बेखौफ हैं, इसकी पुष्टि इससे होती है कि वे सरकारी-गैर सरकारी वाहनों को तोड़ने, जलाने के साथ पुलिस पर भी हमले कर रहे हैं। बंगाल के विभिन्न जिलों में वक्फ कानून के विरोध के बहाने फैलाई जा रही अराजकता इसलिए भी थमने का नाम नहीं ले रही है, क्योंकि खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कानून के खिलाफ खड़ी होकर राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम कर रही हैं।
जब यह स्थिति निर्मित की जाती है तो अराजक तत्व मौके का फायदा उठाते हैं। वक्फ कानून के विरोधी भले ही लोकतंत्र और संविधान की दुहाई दे रहे हों, लेकिन वे उसकी धज्जियां ही उड़ा रहे हैं। वे वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रतीक्षा करने के लिए तैयार नहीं। नए वक्फ कानून से किसी की भी असहमति हो सकती है, लेकिन उसके विरोध के नाम पर हिंसा का सहारा लेना कानून के शासन को सीधी चुनौती देना है। बंगाल में ऐसा ही किया जा रहा है।
वक्फ कानून में संशोधन के विरोधी चाहे जो तर्क दें, इससे कोई इन्कार नहीं कर सकता कि वक्फ बोर्ड भ्रष्टाचार का अड्डा बने हुए थे और वे सरकारी-निजी जमीनों पर मनमाने तरीके से दावा कर दिया करते थे। उनकी इस मनमानी का शिकार अनेक मुस्लिम भी थे। क्या वक्फ कानून के विरोधी यह बताने की स्थिति में हैं कि वक्फ बोर्डों ने अभी तक कितने गरीब मुसलमानों की सहायता की?
वक्फ संपत्तियों की देखरेख मजहबी मामला नहीं है और यदि एक क्षण के लिए ऐसा मान लिया जाए तो भी मजहब के नाम पर किसी को मनमानी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। वक्फ बोर्ड यही करने में लगे हुए थे। यह पहली बार नहीं है, जब किसी कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरकर उपद्रव किया जा रहा हो।
इसके पहले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ भी ऐसा ही किया गया था। तब यह झूठ फैलाया गया था कि इस कानून के जरिये मुसलमानों की नागरिकता छीन ली जाएगी।
अब यह झूठ फैलाया जा रहा है कि नए वक्फ कानून के जरिये सरकार मस्जिदों और कब्रिस्तानों पर कब्जा करना चाहती है। यह निरा झूठ और शरारत ही है। यदि बंगाल में वक्फ कानून के विरोध की आड़ में फैलाई जा रही अराजकता पर लगाम नहीं लगी तो अन्य राज्यों में भी इस कानून के विरोधी हिंसा का सहारा ले सकते हैं।