नई दिल्ली। सुबह नौ से 11 और शाम पांच से आठ बजे के बीच सड़कों पर गाड़ियों का अधिक दबाव होता है, लेकिन हादसे रात में खाली सड़कों पर अधिक होते हैं। इसी अनुपात में मौतें भी दिन की तुलना में रात में अधिक होती हैं। इन हादसों का कारण तेज रफ्तार व नशे में गाड़ी चलाना, रेड लाइट जंप करना व कार सवार, ट्रक, बस आदि भारी वाहनों के चालकों द्वारा यातायात नियमों का उल्लंघन करना है। 
इनकी चपेट में आने वाले अधिकतर पैदल यात्री, साइकिल सवार, दोपहिया वाहन चालक हैं। अक्सर देखा जाता है रात में मौज मस्ती के लिए निकले लोग लापरवाही से वाहन चलाते हैं। यातायात पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में रात में होने वाले 845 हादसों में से 876 लोगों की जान गई, जबकि 2023 में रात में 803 हादसों में 822 लोगों की मौत हुई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि रात में यातायात पुलिसकर्मी सड़कों से नदारद रहते हैं।
 

रात में क्यों होते हैं अधिक हादसे 

  • रात के समय यातायात पुलिसकर्मी सड़कों पर तैनात नहीं रहते हैं 
  • रात में नशा करके कार चालक व बड़े वाहन चालक गाड़ी चलाते हैं 
  • नींद में गाड़ी चलाने से भी हादसों का खतरा बना रहता है 
  • तेज रफ्तार से गाड़ी चलाना हादसों का मुख्य कारण होता है 
  • रात के समय विजिबिलिटी कम हो जाती है और ब्लिंकर्स भी काम नहीं करते 
  • कुछ सड़कों पर हाई मास्ट लाइटों के काम न करने से होने वाले अंधेरे से भी हादसे होते हैं
  • बीते वर्ष रात में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों की बढ़ी है संख्या
  • सर्वाधिक सड़क हादसे रात नौ से एक बजे के बीच किए गए दर्ज 
  • पीड़ितों में पैदल यात्री, साइकिल सवार, दोपहिया वाहन चालक

रात में अधिकतर नशे में कार चलाने वालों के मामले सामने आते हैं, जिनकी चपेट में आने से पैदल यात्री या दो पहिया वाहन सवार आते हैं। लापरवाही से वाहन चलाने व नशे में गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा पुलिसकर्मियों द्वारा नाइट पेट्रोलिंग भी की जाती है। – सत्वीर कटारा, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, ट्रैफिक पुलिस