भारत को दान दिए 100 वेंटीलेटर्स की पहली खेप अगले हफ्ते भेजेगा अमेरिका: व्हाइट हाउस

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत के दौरान बताया कि उनका देश भारत को दान में दिए 100 वेंटीलेटर्स की पहली खेप अगले हफ्ते भेजने के लिए तैयार है। व्हाइट हाउस ने बताया कि ट्रम्प ने मंगलवार (2 जून) को मोदी से बात की और दोनों नेताओं ने जी-7 सम्मेलन, कोविड-19 से निपटने और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा की। व्हाइट हाउस ने टेलीफोन पर हुई बातचीत के बारे में बयान जारी कर बताया, ‘राष्ट्रपति को घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि अमेरिका अगले हफ्ते भारत को दान में दिए 100 वेंटीलेटर्स की पहली खेप भेजने के लिए तैयार है।’ ​

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा था कि उनकी उनके ‘मित्र’ ट्रम्प से गर्मजोशी के साथ और सार्थक बातचीत हुई। उन्होंने कहा, ‘हमने जी-7 की अमेरिका की अध्यक्षता के लिए उनकी योजनाओं, कोविड-19 वैश्विक महामारी और कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-अमेरिका चर्चाओं की मजबूती और गहराई कोविड-19 के बाद की वैश्विक संरचना में एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगी। ट्रम्प ने जी-7 समूह की अध्यक्षता के बारे में जानकारी दी और समूह का दायरा बढ़ाने की इच्छा से अवगत कराया ताकि भारत सहित महत्वपूर्ण देशों को इसमें शामिल किया जा सके।

बयान में कहा गया है, ‘इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका में आयोजित होने वाले अगले जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए निमंत्रण दिया।’ मोदी ने ट्रम्प के ‘रचनात्मक और दूरदर्शी रूख’ की सराहना की और कहा कि कोविड-19 के बाद दुनिया की बदली हकीकत को ध्यान में रखते हुए इस तरह का विस्तारित मंच जरूरी होगा। मोदी ने कहा कि भारत, अमेरिका और अन्य देशों के साथ मिलकर प्रस्तावित शिखर सम्मेलन को सफल बनाने के लिए काम करके खुश होगा। बयान में कहा गया कि मोदी ने ‘अमेरिका में चल रही आंतरिक अशांति’ पर चिंता जाहिर की और स्थिति के जल्द सामान्य होने की उम्मीद जताई।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, ‘दोनों नेताओं ने दोनों देशों में कोविड-19 की स्थिति, भारत-चीन सीमा पर स्थिति और विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार की जरूरत जैसे मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।’ ट्रम्प ने इस साल फरवरी में भारत की यात्रा को याद किया। मोदी ने कहा कि यह यात्रा कई मायने में ऐतिहासिक और यादगार रही और इससे द्विपक्षीय संबंधों में नये आयाम जुड़े।

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