छतों से बरस रही थीं गोलियां, जानिए कैसे हिस्ट्रीशीटर के जाल में फंसी पुलिस, सीओ समेत 8 कर्मी शहीद

कानपुर से सटे एक गांव में गुरुवार रात एक जघन्य वारदात में एक सीओ और 3 एसआई समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। ये सभी एक कुख्यात अपराधी और कानपुर के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने कानुपर नगर जिले के चौबेपुर स्थित दिकरू गांव पहुंची थी। लेकिल यह कोई अचानक घटी घटना नहीं थी। बल्कि पूरी साजिश पूर्व नियोजित थी। बता दें कि विकास दुबे एक शातिर अपराधी है। कानपुर के इस हिस्ट्रीशीटर पर 60 मुकदमे दर्ज है। यह भी पढ़ें: विकास दुबे ने 19 साल पहले की थी अपनी पहली बड़ी वारदात, आज दर्ज हैं कुल 60 मुकदमे

बताया जा रहा है कि विकास दुबे के खिलाफ गांव के ही एक व्यक्ति ने धारा 307 के तहत मामला दर्ज कराया था। इसी शिकायत पर पुलिस टीम शातिर अपराधी को पकड़ने गई थी। बताया जा रहा है कि जैसे पुलिस पार्टी दिकरू गांव पहुंची, वहां पर पुलिस को रोकने के लिए अपराधियों ने पहले से ही जेसीबी लगा कर के रास्ता रोक रखा था। जैसे ही पुलिस पार्टी वाहनों से उतरी, बदमाशों ने छतों से पुलिस टीम पर फायरिंग शुरू कर दी। पु​लिस के पास खुद को सुरक्षित रखने के लिए छिपने का कोई स्थान नहीं था। अपराधियों की सीधी गोलियां लगने से 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गए। जिसमें एक डिप्टी एसपी देवेंद्र मिश्रा 3 सब इंस्पेक्टर इसमें एक SO है 4 कांस्टेबल शामिल हैं।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे (Vikas Dubey) एक खूंखार अपराधी रहा है। विकास दुबे के ऊपर लूट, डकैती, फिरौती और हत्या जैसे गंभीर अपराधों के 60 मामले दर्ज हैं। अब इस नई और सबसे बड़ी वारदात के साथ वह सूबे के मोस्ट वॉन्टेड अपराधियों में से एक हो गया है। विकास दुबे का नाम 19 साल पहले 2001 में पहली बार तब चर्चा में आया जब उसने कथित तौर पर थाने में घुसकर दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री एवं बीजेपी नेता संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। बाद में उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था और कुछ ही महीने बाद जमानत पर बाहर आ गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विकास के खिलाफ यूपी के कई जिलों में 60 आपराधिक मामले चल रहे हैं। विकास की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का इनाम भी रखा गया था।

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