पहले PM मोदी को ओली का फोन, आज भारत-नेपाल की हाई लेवल मीटिंग, क्या तल्खी कम करेगा चीन के बहकावे में आया पड़ोसी?
कई महीनों की संवादहीनता और तल्खी के बीच आज यानी सोमवार को भारत और नेपाल के बीच अहम बैठक होने जा रही है। संबंध सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए दोनों देशों के उच्च अधिकारी नेपाल में भारत स्पॉन्सर्ड परियोजनाओं को लेकर 17 अगस्त को समीक्षा बैठक करेंगे। वैसे तो यह एक तरह से पहले से निर्धारित बैठक है और इसका सीमा विवाद से कोई खास संबंध नहीं है, मगर मौजूदा हालात को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि इससे दोनों देशों की तल्खी को कम करने की दिशा में अच्छे संबंध की नींव रखी जा सकती है।
इस बैठक की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि बैठक से ठीक पहले नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली ने पीएम मोदी से बात की है। नेपाल-भारत निरीक्षण तंत्र की यह 8वीं बैठक दोनों देशों के मध्य हाल के सीमा विवाद से उत्पन्न तल्ख तेवरों में नरमी की उम्मीद के तौर पर देखी जा रही है। 9 माह बाद हो रही बैठक 17 अगस्त को काठमांडू में प्रस्तावित है। बता दें कि बीते कुछ समय से चीन के बहकावे में नेपाल अकड़ दिखा रहा है।
दरअसल, महीनों तक चीन के इशारे पर भारत के साथ तल्खी बढ़ाने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने दोनों नेताओं में बीतचीत की जानकारी देते हुए कहा था कि पीएम मोदी को नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने फोन किया था। पीएम ओली ने सरकार और देश के लोगों को 74वें स्वतंत्रता दिवस और हाल ही में भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य चुने जाने को लेकर बधाई दी।
विवाद के बाद पहली बार हुई दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों में बात
बैठक से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नेपाली प्रधानमंत्री केपी ओली बातचीत कूटनीतिक हिसाब से काफी मायने रखते हैं। दोनों नेताओं के बीच फोन पर हुई यह बातचीत इसलिए अहम है क्योंकि नेपाल द्वारा नए राजनीतिक नक्शे में भारतीय इलाकों को शामिल किए जाने की वजह से पैदा हुए तनाव के बाद पहली बार सर्वोच्च स्तर पर बातचीत हुई है। पड़ोसी देश में भारत कई तरह के विकास कार्यों में सहयोग कर रहा है और दोनों देशों के बीच सदियों से बेहद दोस्ताना रहे हैं, लेकिन हाल के दिनों में केपी शर्मा ओली की सरकार ने भारत के साथ तनाव बढ़ाने वाले कदम उठाए और बयानबाजी से आग में घी डालने का काम किया है।
बैठक को लेकर नेपाल ने क्या कहा था
आज होने वाली बैठक की सूचना देते वक्त उस वक्त नेपाली विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने कहा था कि हमारे पास बातचीत के अलावा विकल्प नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि सीमा विवाद को लेकर हम अपने सभी संबंधों को बंधक बनाकर नहीं रख सकते हैं। बता दें कि इस बैठक का दौर प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की 2016 में भारत यात्रा के बाद स्थापित हुआ। इसका मकसद आपसी परियोजनाओं के क्रियान्वयन और समयसीमा के भीतर इन्हें पूरा करने के लिये आवश्यक कदम उठाना था।
बैठक में कौन-कौन होंगे शामिल
नेपाल की तरफ से बैठक की अगुआई विदेश सचिव शंकर दास बैरागी करेंगे। भारतीय दल का नेतृत्व नेपाल में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा करेंगे। यह बैठक हालांकि भारत पोषित परियोजनाओं की समीक्षा के लिए हो रही है, लेकिन अधिकारियों और राजनायिकों का कहना है कि इसे दोनों देशों के बीच फिर से बातचीत शुरू होने के रूप में देखा जा रहा है।
सीमा विवाद पर नेपाल ने क्या कहा
विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ वक्त के लिए सीमा विवाद का मसला अलग किया जा सकता है, लेकिन देर सबेर हमें इसका हल निकालना होगा। उन्होंने कहा, ‘एक मुद्दे पर मतभेदों की छाया हमारे सभी आपसी मसलों पर नहीं पड़नी चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए। हम रचनात्मक संबंधों में विश्वास करते है और आगामी बैठक इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक कदम है।’ विदेश मंत्री ने कहा,’ हमें इस बात का विश्वास है कि भारत के साथ हमारी दोस्ती सही दिशा में आगे बढ़ेगी।’
हाल में नेपाल से कैसे बिगड़े रिश्ते
दरअसल, नेपाल की ओली सरकार ने मई में देश का नया राजनीतिक नक्शा पास किया, जिसमें भारतीय इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को शामिल किया गया। भारत ने इसका विरोध किया और इस नक्शे को खारिज करते हुए कहा था कि यह नक्शा ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है। भारत ने यह भी कहा था कि यह दोनों देशों में किसी विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने के आपसी समझ का भी उल्लंघन हैं।