संजीत हत्याकांड: धरने पर बैठने जा रहे पिता और बहन को थाने ले गई पुलिस, 60 दिन बाद भी नहीं मिला शव

कानपुर: लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की हत्या को 60 दिन हो गए हैं, लेकिन उनकी लाश अब तक नहीं मिल सकी है. पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है लेकिन संजीत का शव पुलिस के हाथ नहीं लगा है. संजीत के परिजन लगातार पुलिस की जांच पर सवाल खड़े कर रहे हैं. कुछ दिन पहले मृतक के माता-पिता और बहन क्षेत्रीय लोगों के साथ पैदल ही मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ से मुलाकात के लिए लखनऊ निकल पड़े थे. तब पुलिस ने उन्हें समझा बुझाकर वापस लौटाया

संजीत के ​परिजनों को पुलिस ने नजरबंद किया
मंगलवार सुबह एक बार फिर संजीत के परिजनों के सब्र का बांध टूट गया. वे लोग बर्रा थाना क्षेत्र स्थित शास्त्री चौक पर धरने पर बैठने के लिए घर से निकल पड़े. पुलिस ने संजीत के पिता चमन और बहन रुचि को बहुत समझाने की कोशिश की. लेकिन वे दोनों धरने पर बैठने की जिद पर अड़े रहे. इसके बाद पुलिस ने दोनों को जबरदस्ती गाड़ी में बैठा लिया और थाने ले गई. परिजन संजीत हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा उनकी मांग है कि परिवार से किसी एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए.

संजीत के परिजनों को बरगलाया जा रहा: DIG
इस मामले में कानपुर के डीआईजी डॉ प्रीतिंदर सिंह का कहना है कि कुछ लोग जबरन संजीव के परिजनों को बरगला कर ऐसी सलाह दे रहे हैं, जिसके चलते आज परिवार धरना देने शास्त्री चौक पहुंचा था. क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के बीच किसी भी प्रकार का धरना प्रदर्शन बिना अनुमति के नहीं किया जा सकता, इसलिए परिवार को वहां से हटा दिया गया है. डीआईजी ने परिजनों को बरगला कर और नई-नई सलाह देकर उकसाने वाले लोगों पर भी सख्त कार्रवाई करने की बात कही.

लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का 22 जून को अपहरण हुआ था. अपहरणकर्ताओं ने 29 जून को उनके घरवालों के पास फोन कर 30 लाख रुपए फिरौती मांगी थी. संजीत के परिजनों का कहना है कि उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दी. संजीत के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस के कहने पर 30 लाख रुपए अपहरणकर्ताओं द्वारा बताई गई जगह पर दे दिया. लेकिन पुलिस न अपहरणकर्ताओं को पकड़ पाई, न संजीत यादव को बरामद कर सकी और पैसे भी चले गए. पुलिस ने 21 जुलाई को सर्विलांस की मदद से संजीत के दो दोस्तों को पकड़ा.

संजीत यादव का शव अब तक बरामद नहीं ​हुआ
पूछताछ में दोनों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने ही संजीत का अपहरण किया, 26 जून को उसकी हत्या कर शव को पांडु नदी में फेंक दिया और फिरौती की रकम के लिए 29 जून को फोन किया. फिरौती मांगने के लिए अपहरणकर्ताओं ने संजीत के फोन का ही इस्तेमाल किया था, जिसे पुलिस ने नाले से बरामद किया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले का संज्ञान लिया और उनके निर्देश पर 1 आईपीएस समेत 11 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया था. संजीत का शव ढूंढने के लिए पुलिस ने पांडु नदी में कई बार सर्च ऑपरेशन चलाया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की हामी भरी है, लेकिन जांच अभी शुरू नहीं हो सकी है. इसको लेकर संजीत के परिजनों में आक्रोश है.

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