“बलात्कार का केस चलाने के लिए पीड़िता के शरीर पर सीमन का होना जरूरी नहीं”
कील जॉन ने कहा, “(सीमन नहीं पाया गया) तो क्या? बलात्कार (Rape) के अपराध के लिए उसकी मौजूदगी जरूरी नहीं. और तो और, मृत्यु पूर्व दिया गया बयान है. मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को खारिज करने के लिए कुछ असाधारण सबूत की जरूरत होगी.”
- कानूनी विशेषज्ञों ने उत्तर प्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) की इस थ्योरी को खारिज कर दिया है कि हाथरस (Hathras) की पीड़िता के शरीर पर शुक्राणु नहीं मिलने का मतलब है कि उसके साथ बलात्कार (Rape) नहीं हुआ. वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन और विकास पाहवा ने कहा कि कथित सामूहिक बलात्कार की पीड़िता के शरीर पर शुक्राणु की अनुपस्थिति, जैसा कि पुलिस ने फोरेंसिक रिपोर्ट में दावा किया है, का आरोपियों पर इस अपराध के लिए अभियोजन चलाने पर कोई असर नहीं होगा, क्योंकि मरते समय उसने जो बयान दिया, उस पर अविश्वास नहीं किया जा सकता.
जॉन ने कहा, “(सीमन नहीं पाया गया) तो क्या? बलात्कार के अपराध के लिए उसकी मौजूदगी जरूरी नहीं. और तो और, मृत्यु पूर्व दिया गया बयान है. मृत्यु पूर्व दिए गए बयान को खारिज करने के लिए कुछ असाधारण सबूत की जरूरत होगी.”
‘शरीर को धोया जा सकता है’
पाहवा की भी ऐसी ही राय है. उन्होंने कहा, “शरीर को धोया जा सकता है, साफ किया जा सकता है. यह इस पर निर्भर करता है. यह भी देखना होगा कि अपराध और मेडिकल परीक्षण में कितने समय का फासला है? अगर बलात्कार के तुरंत बाद मेडिकल परीक्षण होता है तो शुक्राणु मिलते हैं, अन्यथा नहीं.”
हाथरस पीड़िता का केस लड़ेंगी निर्भया की वकील
बता दें कि देश को झकझोर देने वाले 2012 के निर्भया दुष्कर्म मामले की पैरवी कर चुकीं वकील सीमा कुशवाहा अब हाथरस पीड़िता का केस लड़ेंगी. सीमा ने गुरुवार को पीड़िता के परिवार से मुलाकात करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें मिलने से रोक दिया.
उन्होंने पत्रकारों से कहा, “मैं परिवार से मिले बिना हाथरस से नहीं जाऊंगी. उन्होंने मुझसे उनका वकील बनने का अनुरोध किया था लेकिन प्रशासन मुझे उनसे मिलने की अनुमति नहीं दे रहा है.”
सीमा ने कहा कि वह पीड़िता के भाई के संपर्क में हैं. सीमा कुशवाहा 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा की पारिवारिक वकील थी, जिसके साथ 16 दिसंबर, 2012 की रात दिल्ली में एक किशोर सहित छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था.