फास्ट ट्रैक कोर्ट के बाद भी क्‍यों करना पड़ रहा न्याय का इंतजार, सजा तो हुईं पर फांसी एक भी नहीं

हाथरस केस (Hathras Case) के बाद देशभर में आक्रोश है. यूपी सरकार ने साफ कर दिया है वो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए तैयार है. उम्मीद है जल्द से जल्द हाथरस कांड की हकीकत दुनिया के सामने होगी, लेकिन इस घटना के बाद हमने पिछले सालों में सामने आए उन मामलों की खोज खबर शुरू की जिनमें इंसाफ अभी भी बाकी है.

ऐसा ही एक मामला 2019 में मध्य प्रदेश की राजधानी में सामने आया, जिसमें रेप के बाद एक मासूम बच्ची की हत्या कर दी गई. फास्ट ट्रैक कोर्ट ने रिकॉर्ड समय में दोषी को फांसी की सजा भी दे दी, लेकिन परिवार को अब तक न्याय नहीं मिला है.

इंसाफ की गुहार लगाते माता-पिता की अब एक ही आस है कि उनकी बच्ची के गुनहगार को जल्द से जल्द फांसी मिले और उन्हें न्याय मिले, लेकिन इंतजार है कि खत्म नहीं होता. हौसला टूटता जाता है.

“फांसी की सजा सुनाने से क्या होता है? फांसी मिले तो न्याय हो”

लड़की की मां का कहना है, “फांसी की सजा सुनाने से क्या होता है? उनको फांसी मिले तब न्याय मिलेगा एक साल हो गए हैं.” वहीं पिता कहते हैं, “जैसे दूसरे देशों में फांसी दी जाती है वैसे फांसी दी जाए. वो तो आजाद है न. खून या मर्डर करके जेल चला गया आराम से खाऊंगा.”

8 जून 2019 यही वो तारीख थी, जब भोपाल के कमला नगर इलाके की मांडवा बस्ती में 9 साल की एक मासूम के साथ बलात्कार किया गया. फिर बेरहमी से उसकी हत्या कर दी गई. वारदात ने भोपाल समेत पूरे प्रदेश को झकझोर दिया. कैंडल मार्च निकाले गए और सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन हुए. लापरवाही के आरोप में 5 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया. जनआक्रोश का असर ये हुआ कि-

  • पुलिस को दबिश देकर खंडवा के ओंकारेश्वर से आरोपी विष्णु को गिरफ्तार करना पड़ा.
  • पीड़ित परिवार के इस पड़ोसी आरोपी ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया और इसके बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई.
  • पुलिस ने सबूत जुटाए, 40 गवाहों के बयान कराए, डीएनए और ब्लड समेत 22 सैंपल्स की जांच कराकर चार्जशीट पेश की.
  • इसके बाद रिकॉर्ड 32 दिनों में कोर्ट ने फैसला सुना दिया. 11 जुलाई 2019 को बच्ची के बलात्कार और हत्या के आरोपी विष्णु को फांसी की सजा सुनाई गई.

फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित परिवार को लगा कि उन्हें इंसाफ मिल गया. राज्य सरकार ने 5 लाख रुपए की सहायता राशि और रहने को घर दिया. बेटी के साथ वारदात के बाद पूरे परिवार ने मांडवा की बस्ती को छोड़ दिया. उम्मीद थी कि दोषी को जल्द फांसी मिलेगी, लेकिन ये एक मिराज साबित हुआ.

फास्ट ट्रैक कोर्ट से अब हाईकोर्ट पहुंचा मामला

फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले के एक महीने के अंदर यानी अगस्त 2019 में केस हाईकोर्ट पहुंचा और अब एक साल से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन मामला हाईकोर्ट में लंबित है. पीड़ित परिवार का इंतजार लंबा होता जा रहा है. कोर्ट में मामला इतना लंबा खिंच चुका है कि वारदात की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी भी हताश हैं.

मासूम बच्चियों से बलात्कार की घटना पर बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए. मध्यप्रदेश में दिसंबर 2017 में कानून बना. नाबालिग के साथ रेप के केस में फांसी की सजा तय हुई, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कानून बनने के बाद 27 से ज्यादा मामलों में दोषी को फांसी की सजा सुनाई गई है, लेकिन आज तक किसी को फांसी नहीं हुई. क्योंकि फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले के बाद की कानूनी प्रक्रियायों की मियाद तय नहीं होती.

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