जानिए करोड़ों की संपत्ति वाले विधायकों को हर महीने कितनी सैलरी और भत्ते मिलते हैं?
Bihar Election 2020: वैसे तो नेताओं की संपत्ति करोड़ों में होती है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि उनकी सैलरी कितनी है? उन्हें कितने भत्ते मिलते हैं? इस खबर में जानिए किस राज्य के विधायकों को कितनी सैलरी मिलती है.
बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां अपने चरम पर है. राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल गठबंधन करके जबदस्त चुनावी ताल ठोंक रहे हैं. एक तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ महागठबंधन. चुनावों में राज्य के विकास का दावा करने वाले इन विधायकों को सरकार की ओर से अच्छी खासी सैलरी और भत्ते भी दिए जाते है. दिल्ली और पुदुच्चेरी सहित देश के 31 राज्यों में कुल विधायकों की संख्या 4123 है. आइए जानते हैं कि गरीब जनता की सेवा के लिए चुने जाने वाले इन विधायकों को किस राज्य में कितनी तनख्वाह मिलती है?
सैलरी में तेलंगाना सबसे ऊपर
हर राज्य के विधायकों को अलग सैलरी मिलती है. देश में सबसे ज्यादा सैलरी तेलंगाना के विधायकों को मिलती है. ये राशि 2.50 लाख रुपए होती है. जबकि सबसे कम सैलरी की बात करें तो वो त्रिपुरा के विधायकों को मिलती है. ये सैलरी महज 34 हजार रुपए है.
बिहार में पिछले साल ही बढ़ी सैलरी
बीते साल नवंबर 2019 में बिहार के विधायक और विधान पार्षदों का वेतन और भत्ता बढ़ाया गया. पहले विधायकों को एक लाख आठ हजार रुपए मिलते थे, जो बढ़ाकर एक लाख 35 हजार कर दिए गए. सैलरी के अलावा विधायकों को वाहन खरीदने के लिए एडवांस में 15 लाख रुपए भी मिलते हैं. ट्रेन और हवाई जहाज से यात्रा के लिए हर साल दो लाख की जगह अब तीन लाख रुपए मिलते हैं. निजी सहायक के लिए 30 हजार मिलते हैं.
पिछले साल वर्तमान विधायकों के साथ पूर्व विधायकों की पेंशन में भी बढ़ोतरी का ऐलान किया गया था. पूर्व विधायकों और पूर्व विधान पार्षदों को मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को 25 हजार से बढ़ा कर 35 हजार कर दिया गया था. लेकिन नियम के मुताबिक यह पेंशन एक साल विधायक रहने पर ही मिलती है. इसके बाद वे जितने साल तक विधायक रहे, उतने वर्ष तक हर साल पेंशन में तीन-तीन हजार रुपये तक वृद्धि होती है. विधायकों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद 8000 रुपये डीजल खर्च के रूप में मिलते हैं, साथ ही जीवन भर मुफ्त रेलवे पास और मेडिकल सुविधा का लाभ भी मिलता है.
विधायकों का फंड
अपने अपने क्षेत्र में विकास के लिए फंड दिया जाता है. जो हर साल 1 करोड़ रुपये से लेकर 4 करोड़ रुपये तक होता है. इस तरह पांच सालों में एक विधायक को जनता के विकास के लिए 5 करोड़ से 20 करोड़ रुपए तक मुहैया कराए जाते हैं. विधायकों को अपने क्षेत्र में पानी की समस्या का निस्तारण कराने के लिए 5 सालों में 200 हैंडपंप लगवाने का अधिकार भी मिलता है.