यूपी की सियासत में बन रहा नया समीकरण, क्या फिर से BJP के साथ आने की तैयारी में मायावती

सियासत में न दोस्ती पक्की होती है न दुश्मनी. सब कुछ नफा नुकसान के हिसाब से तय होता है और उत्तर प्रदेश में तो हमेशा से ऐसे प्रयोग होते रहे हैं. अब एक बार फिर उत्तर प्रदेश की सियासत में नए समीकरण की जमीन तैयार हो रही है. बीएसपी और बीजेपी के बीच की छुआछूत मायावती के एक बयान से खत्म होती दिखाई दे रही है.

लोकसभा चुनाव की करारी हार के बाद मायावती ने एक झटके में अखिलेश का साथ छोड़ कर अखिलेश को राजनीति में नौसिखिया करार दिया था. उधर राज्यसभा चुनाव से पहले बीएसपी में बगावत की आग जलाकर अखिलेश ने वो हिसाब तो बराबर कर लिया, लेकिन समाजवादी पार्टी को सबक सिखाने के लिए किए गए माया के जवाबी हमले से यूपी की राजनीति में बीएसपी और बीजेपी के बीच दोस्ती के दरवाजे खोल दिये है.

दरअसल बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सपा पर जरूरत के हिसाब से गठबंधन का आरोप लगाते हुए कहा कि मुलायम से गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेकर उन्होने गलती की. इतना ही नहीं माया ने सपा को सबक सिखाने के लिए आगामी विधान परिषद चुनावों में बीजेपी के पक्ष में वोट करने का भी ऐलान कर बीजेपी के साथ दोबारा संबंध बहाली का रास्ता खोल दिया है. BSP मुखिया के इस बयान के बाद एसपी और कांग्रेस को माया की बीजेपी से सांठगांठ होने की तोहमत जड़ने का मौका मिल गया.

बीजेपी ने साफ किया राज्यसभा के लिए बीएसपी का रास्ता 

वहीं बीजेपी ने रणनीति के तहत राज्यसभा चुनावों में केवल आठ उम्मीदवार उतार कर बीएसपी के उम्मीदवार के राज्यसभा पहुंचने की राह आसान कर एक नई सियासत साधने का दांव चला था. अब मायावती के बयान से साफ हो गया कि तीर निशाने पर लगा है. हालांकि, योगी सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि बीएसपी और एसपी के बीच ये नूराकुश्ती है, बीजेपी के लिए योगी और मोदी ही काफी है.

बीएसपी और बीजेपी के बीच पहले भी दो बार जुगलबंदी हो चुकी है, लेकिन इन दिनों मुस्लिम वोट बैंक की खातिर बीएसपी बीजेपी को अछूत मानती रही है, लेकिन 2022 की जंग से पहले मायावती की रणनीति में अचानक आए परिवर्तन से यूपी में नए सियासी गठजोड़ की संभावनाए एसपी और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगी

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