“सरकार ईमानदारी से किसानों की सुनती तो ये संकट नहीं होता”, प्रकाश सिंह बादल का पीएम मोदी को पत्र

कृषि कानूनों (Farm Act) के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन (Farmers Protest) के लिए मंगलवार यानी कल का दिन बहुत ही अहम है. किसान नेताओं ने कहा कि 8 दिसंबर को देशव्यापी भारत बंद के लिए उनकी तैयारी पूरी हो चुकी है. इसी बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल (Prakash Singh Badal) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिख कर कानून को वापस लेने की मांग की है. प्रकाश सिंह बादल ने पत्र (Letter) में लिखा ”मैं किसानों के प्रदर्शन को लेकर बहुत चिंतित हूं. मुझे लगता है कि अगर सरकार ईमानदारी से किसानों के फीडबैक पर ध्यान देती तो इस मुद्दे पर बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था.”

उन्होंने पत्र में आगे कहा ”देश में गहरी उथल-पुथल मचाने वाले तीन कानूनों को किसानों और उनके परिवारों को इस कड़ाके की ठंड में पीड़ित किया के बिना वापस लेना चाहिए. मुद्दा अकेले किसानों की चिंता नहीं है, बल्कि देश के संपूर्ण आर्थिक ताने-बाने को प्रभावित करता है.”

कृषि कानून का अखिलेश ने किया विरोध

किसानों (Farmers) के समर्थन में समाजवादी पार्टी सोमवार को उत्तर प्रदेश में किसान यात्रा निकालने का प्रयास किया. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अपने आवास से बैरिकेडिंग पार करके बाहर निकले और राजभवन चौराहे पर धरने पर बैठ गए हैं. इस दौरान अखिलेश यादव समेत कई समाजवादी पार्टी के नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. हालांकि बाद में पुलिस ने अखिलेश यादव को रिहा कर दिया.

आंदोलन का 12वां दिन

बता दें कि किसानों का आंदोलन सोमवार को लगातार 12वें दिन जारी है. किसान संगठनों की ओर से केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से डटे हुए हैं और आठ दिसंबर (मंगलवार) को भारत बंद का आह्वान किया है.

कानूनों को वापस ले सरकारः शिवसेना

दिल्ली सीमा के पास किसानों के जारी आंदोलन के बीच शिवसेना ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि विपणन कानूनों को वापस ले लेगी तो यह उसकी‘फिराखदिली’ होगी. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे एक संपादकीय में ‘बिगड़ते’ हालात के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है.

संपादकीय में कहा गया, ‘‘किसान दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि कानूनों को वापस लेने में सरकार को भी हिचकिचाने की कोई वजह नहीं है बल्कि यह उसकी‘फिराखदिली’ होगी.’’ सामना में कहा गया, ‘‘आज स्थिति बिगड़ती जा रही है, यह सरकार के ही कर्मों का फल है.’’

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