चंद दिनों में अमेरिका की कमान संभालेंगे बाइडेन, ये चार तारीखें होंगी अहम, 20 को शपथ ग्रहण
एफबीआई (FBI) ने कथित तौर पर सभी 50 राज्यों की राजधानियों और वॉशिंगटन डीसी (Washington DC) में शपथ ग्रहण के दौरान हथियारबंद विरोध प्रदर्शनों (Protest) की चेतावनी दी है
राष्ट्रपति चुनाव से लेकर जो बाइडेन (Joe Biden) के शपथ ग्रहण तक के दिन अमेरिकी इतिहास में सियासी उथल-पुथल वाले रहे. इस दौरान यूएस कैपिटल (US Capitol) पर ट्रंप समर्थकों द्वारा हमले की कुछ हिंसक और शर्मनाक घटनाएं भी सामने आईं, जिसके बाद ट्रंप प्रशासन के कई सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया. अब सभी की नज़रें 20 जनवरी को होने वाले बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह पर हैं. कार्यवाहक होमलैंड सेक्योरिटी चीफ (Security Chief) चाड वुल्फ ने इसे लेकर चिंता व्यक्त की है.
इसी बीच ट्रंप का कार्यकाल खत्म होने से पहले उन्हें पद से हटाने की कोशिश शुरू हो गई है. डेमोक्रेट्स ने सदन में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है और संविधान को 25वें संशोधन का लागू करने के लिए उपराष्ट्रपति माइक पेंस के पास प्रस्ताव भेजा है. एफबीआई ने कथित तौर पर सभी 50 राज्यों की राजधानियों और वॉशिंगटन डीसी में शपथ ग्रहण के दौरान हथियारबंद विरोध प्रदर्शनों की चेतावनी दी है.
एफबीआई को जानकारी मिली है कि अगर ट्रंप शपथ ग्रहण से पहले राष्ट्रपति पद से हट गए तो स्थिति बिगड़ सकती है. एफबीआई बुलेटिन के अनुसार 16 से 20 जनवरी तक सभी 50 राज्यों की राजधानी में और 17 से 20 जनवरी तक यूएस कैपिटल पर सशस्त्र विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाई जा रही है.
किन तारीखों पर करना होगा गौर:
12 जनवरी: हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सामने सोमवार को पेश किए गए प्रस्ताव पर मतदान करने के लिए इस दिन को चुना गया है, जिसमें 25वें संशोधन को लागू करने के लिए पेंस और कैबिनेट को बुलाया गया है. डेमोक्रेट चाहते हैं कि उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को पद के लिए अयोग्य घोषित कर उन्हें तुरंत हटा दें.
13 जनवरी : बुधवार को महाभियोग पर सदन अपना मत रखेगा. ट्रंप अमेरिकी इतिहास में दो बार महाभियोग का सामना करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं.
17 जनवरी : ट्रंप समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. वो कथित तौर पर रविवार को देशभर के शहरों में सशस्त्र प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं.
20 जनवरी : इस दिन बाइडेन राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. कई शहरों में सरकारी कार्यालयों के सामने प्रदर्शनों का अनुमान कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.