दिल्ली-NCR समेत कई राज्यों में भूकंप के झटके, अमृतसर में तीव्रता 6.1 मापी गई
उत्तर भारत शुक्रवार देर रात भूकंप के झटकों से हिल गया। दिल्ली-NCR, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीसमोलॉजी के मुताबिक, अमृतसर में रात 10:34 बजे आए भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6.1 मापी गई। भूकंप का केंद्र अमृतसर से 21 किमी दूर जमीन से 10 किमी गहराई में था। झटके कई सेकंड्स तक महसूस किए गए। इससे लोगों में दहशत फैल गई। कई लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, अब तक जानमाल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में भी कांपी धरती
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 2005 के भूकंप के बाद किसी झटके ने घर से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया। मैंने एक कंबल उठाया और भागा। धरती हिल रही थी, तो मुझे अपना फोन लेना तक याद नहीं था।
दो महीने पहले भी महसूस हुए थे झटके
पिछले साल दिसंबर में भी दिल्ली-NCR में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता 4.2 थी। जिसका एपिकसेंटर राजस्थान के अलवर में था।
ऐसे लगाते हैं भूकंप की तीव्रता का अंदाजा
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपिसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। धरती की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।
6 या इससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप खतरनाक होता है
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिक प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में कई जगहों पर खतरा
भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5 में बांटा गया है। जोन-2 सबसे कम खतरे वाला और जोन-5 सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन माना जाता है। जोन-5 में कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारतीय क्षेत्र, कच्छ का रण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह आते हैं।
मध्य भारत कम खतरे वाले जोन-3 में आता है। जबकि, दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं। वहीं, जोन-4 में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं।