‘पेड़ लगाओ, पानी बचाओ, पॉलिथीन हटाओ’, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने की पर्यावरण संरक्षण की अपील
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) हरिद्वार में पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर हो रहे एक कार्यक्रम में शामिल हुए.
हरिद्वार में चल रहे महाकुंभ में संघ संचालक मोहन भागवत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वंयसेवकों से खुद पर्यावरण बचाने की मुहिम शुरू करने को कहा. उन्होंने कहा कि पानी बचाओ, प्लास्टिक हटाओ और वृक्ष लगाओ इसे अपने आदत में डालना होगा. पर्यावरण की खराब हालत पर भी मोहन भागवत ने बात की. वह बोले कि अपनी परंपराएं छोड़ने की वजह से पर्यावरण बिगड़ा है.
संघ संचालक ने कहा कि किसी जमाने में हम तकनीक, व्यापार, कृषि में नंबर वन थे. इसके बाद भी हमारे यहां पर्यावरण की समस्या कभी नहीं हुई. हमारे यहां कम से कम छह हजार साल से कृषि हो रही है. लेकिन जब से रासायनिक खेती हुई तबसे हमारी जमीन खराब हुई.
पर्यावरण के बिगड़ने का बच्चों पर विपरीत असर – मोहन भागवत
पर्यावरण के बिगड़ने से विश्व में कई समस्या खड़ी है. मोहन भागवत ने कहा कि इसका असर बच्चों पर भी पड़ा है. प्रकृति बदल रही है. जहां ठंड़ होती थी गर्मी हो रही है. इस संकट से कैसे निकलना है इसके लिए कोशिश करनी है. भागवत बोले, ‘हमारा पर्यावरण क्यों बदल रहा है, यह कारण जानना बेहद जरूरी है.’ मोहन भागवत ने कहा कि अगर हम कारण जान पाएंगे तो हल अपने आप निकल जाएगा. उन्होंने कहा कि संकट खड़ा ही क्यों हुआ! जबतक उसके कारण का पता नहीं लगता तब तक उपाय नहीं निकलता.
प्राकृति ने सबकुछ दिया, आचरण में लाना होगा बदलाव – संघ प्रमुख
कार्यक्रम में भागवत बोले, ‘हमारी जरूरतों की पूर्ति हमेशा से प्रकृति करती आई है. संघ संचालक ने कहा कि हमारे अंदर का लोभ इतना बढ़ गया है कि हमने इसका दोहन करना शुरू कर दिया. यही प्राकृतिक के खिलवाड़ हो रहा है.’ संघ संचालक ने आगे कहा, ‘पर्यावरण बचाने के लिए हमें अपने सामान्य आचरण में बदलाव लाना होगा.’ उन्होंने कहा कि आम दिनचर्या में हम उपयुक्त और कीमती है उसे बड़ा जतन से रखते हैं और जो सहज उपलब्ध है उसकी कीमत शायद हम नहीं समझ पाते. पर्यावरण को जतन से रखने की जरूरत है.
मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना काल में जब हमने सबकुछ बंद किया तब पर्यावरण में भी काफी बदलाव देखने को मिला. अधिकांश प्रदूषण फैलाने वाली कम्पनी बंद हो गई उसका असर कितना दिखा. एक बार फिर कोरोना बढ़ रहा है. सजग रहने का जरूरत ह