बीजापुर नक्सली हमले में 22 जवान शहीद, जानें कब-कब नक्सलियों ने किए बड़े हमले?

बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर हुई इस मुठभेड़ ने छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब नक्‍सली हमले में जवानों ने अपनी जान गंवाई है.

नई दिल्ली. छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए नक्सली मुठभेड़ में 22 जवान शहीद हो गए हैं.  7 जवान अभी भी लापता हैं.  जबकि 31 जवान घायल हो गए हैं. इनमें 7 जवानों का इलाज राजधानी रायपुर में किया जा रहा है. वहीं, 24 जवानों को बीजापुर में भर्ती किया गया है. मुठभेड़ स्थल पर बड़ी संख्या में जवानों को सर्चिंग के लिए भेजा गया है. मुठभेड़ शनिवार को तररेम के पास हुई थी. जो 3 घंटे तक चली थी.

बीजापुर मुठभेड़ से प्रदेश की सियासत भी गरमा गई है. मंगलदोई से भाजपा सांसद दिलीप सैकिया ने नक्सल हमले के बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के असम में चुनाव अभियान जारी रखने पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता को जवानों के जान की परवाह नहीं है. ऐसे समय में जब कई सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए हैं, छत्तीसगढ़ के  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल असम में चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं. बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर हुई इस मुठभेड़ ने छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब नक्‍सली हमले में जवानों ने अपनी जान गंवाई है. इससे पहले भी नक्सली हमले में कई जवान शहीद हो चुके हैं. तो आइए हम आपको बताते हैं उन बड़े हमलों के बारे में….

श्यामगिरी
9 अप्रैल 2019:  2019 लोकसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले नक्सलियों ने चुनाव प्रचार के लिए जा रहे भाजपा विधायक भीमा मंडावी की कार पर हमला कर दिया था. इस हमले में भीमा मंडावी के अलावा उनके चार सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे.

दुर्गपाल
24 अप्रैल 2017:  प्रदेश के सुकमा जिले के दुर्गपाल के पास नक्सलियों द्वारा हमला कर दिया गया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे.

दरभा
25 मई 2013: बस्तर के दरभा घाटी में हुए इस माओवादी हमले में आदिवासी नेता महेंद्र कर्मा, कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 लोग मारे गए थे.

धोड़ाई
नारायणपुर जिले के धोड़ाई में सीआरपीएफ के जवानों पर माओवादियों ने 29 जून 2010 में हमला कर दिया था. इस हमले में पुलिस के 27 जवान मारे गए थे.

दंतेवाड़ा
एक यात्री बस में सवार हो कर दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने 17 मई 2010 में बारूदी सुरंग लगा कर हमला कर दिया था. इस हमले में 12 विशेष पुलिस अधिकारी सहित 36 लोग मारे गए थे.

ताड़मेटला
6 अप्रैल 2010: बस्तर के ताड़मेटला में सीआरपीएफ के जवान सर्चिंग के लिए निकले थे. इस दौरान यहां पहले से घात लगाकर बैठे संदिग्ध माओवादियों ने बारुदी सुरंग लगा कर 76 जवानों को मार डाला था.

मदनवाड़ा
12 जुलाई 2009: राजनांदगांव के मानपुर इलाके में माओवादियों के हमले की सूचना पा कर पहुंचे पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने हमला कर हत्या कर दी थी.

उरपलमेटा
9 जुलाई 2007 में एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था. इस दौरान दल पर माओवादियों ने हमला कर दिया था. जिसमें 23 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे

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