कब तक कम होंगे खाने के तेल के दाम, सरसों की कीमतों में आई तेजी थमेगी या नहीं? जानिए सबकुछ
देश में खाद्य तेल की कीमतें आमसान छू रही हैं. तिलहन के भाव में आई तेजी भी बरकरार है. पहले से महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों पर खाने के तेल के बढ़े हुए दाम बोझ बढ़ा रहे हैं और किचन का बजट बिगड़ गया है.
देश में खाद्य तेल की कीमतें आमसान छू रही हैं. वहीं तिलहन के भाव में आई तेजी भी बरकरार है. पहले से महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों पर खाने के तेल के बढ़े हुए दाम बोझ बढ़ा रहे हैं. किचन का बजट काफी बिगड़ गया है. ऐसे में ये चिंता जायज है कि आखिर तेल की कीमतों में कमी कब तक आएगी? मंडियों में तिलहन एमएसपी के ऊपर बिक रही है. इससे किसानों को काफी फायदा हो रहा है, लेकिन ये तेजी कब तक बरकरार रहेगी, ये जानना बेहद जरूरी है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि खाने के तेल की कीमतों में पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी आई थी और भारत में इंपोर्ट वाले स्टॉक काफी कम मात्रा में बचे थे. इस वजह से दाम बढ़ गए. हालांकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव काफी गिर गए हैं, इसका असर आने वाले समय में घरेलू बाजार पर पड़ेगा. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि भारतीय बाजार में माल की कमी है. जैसे ही बाहर से माल आने शुरू हो जाएंगे. दाम अपने आप कम होने लगेगा.
जल्द आएंगे ग्राहकों के अच्छे दिन
इंपोर्ट वाले माल की स्टॉक में कमी के कारण व्यापारी डर गए थे. उन्हें इस बात की चिंता थी कि अगर वे आयात करते हैं तो मुनाफा नहीं कमा पाएंगे. तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें ज्यादा थीं. इसलिए माल का इंपोर्ट नहीं हुआ. आयातित माल में भारी कमी का असर दाम पर पड़ा. अभी भी स्टॉक में कमी है और इसी वजह से तेजी बरकरार है. छोटे समय के लिए ये तेजी रहेगी, लेकिन फिर दाम घटने लगेंगे. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आने वाले छह हफ्तों में ग्राहकों के अच्छे दिन आ जाएंगे.
स्टॉक की कमी का कीमतों पर पड़ा असर
तिहलन की फसल भी रिकॉर्ड रेट पर बिक रही है. सोयाबीन की कीमत पहली बार 6800 रुपए तक पहुंच चुकी है. पिछले 6 महीने में सरसों की कीमत भी काफी बढ़ी है. वहीं क्रूड पाम ऑयल की बात करें तो 41 प्रतिशत की तेजी देखी गई है. इसके पीछे की वजहों पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि स्टॉक की कमी, इंपोर्ट नहीं करना और भारतीय बाजार में तकनीकी खामी के चलते ऐसा हुआ है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि भारतीय बाजार अभी पूरी तरह से डेवेलप नहीं हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम समय के लिए होने वाली गतिविधियों का असर यहां पर काफी पड़ता है. तेल के साथ भी ऐसा ही हुआ है.
एमएसपी से ऊपर बना रहेगा सरसों का भाव
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान अपनी पैदावर पर मुनाफावसूली कर लें. जितना फायदा हो सके, ले लें क्योंकि आने वाले समय में दाम गिरेंगे. 6000 रुपए और इसके आस पास बिक रही सरसों की फसल पर भी असर पड़ेगा. हालांकि उनका कहना है कि सरसों की कीमत कम होगी लेकिन एमएसपी से ऊपर रेट बना रहेगा. सरसों की एमएसपी 4650 रुपए है. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सरसों की कीमत गिरने के बाद भी 5000 और 5200 के आसपास रहेगी. वहीं 6800 रुपए बिक रहे सोयाबीन की कीमत भी गिरकर 5000-5500 तक हो जाएगी.
इंपोर्ट ड्यूटी पर क्या है एक्सपर्ट्स की राय?
तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद चर्चा चल रही थी कि सरकार इंपोर्ट ड्यूटी घटा सकती है. हालांकि कुछ लोग इसके पक्ष में नहीं थे. उनका कहना था कि अगर इंपोर्ट ड्यूटी में कमी की गई तो बाहर का माल भर जाएगा और किसानों को नुकसान होगा. सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. एक्सपर्ट्स इंपोर्ट ड्यूटी घटाने के पक्ष में नहीं हैं. उनका कहना है कि अभी जो ड्यूटी का रेट है, वह सही है. इंपोर्टर्स को चाहिए कि वे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम हुई कीमतों का फायदा उठाएं और विदेशों से ज्यादा माल मंगाएं. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा. उन्हें खाने के तेल के कीमतों में आई तेजी से राहत मिलेगी