ऐसा लगता है केंद्र चाहता है ‘लोग मरते रहें’: रेमडेसिविर को लेकर नए प्रोटोकॉल पर दिल्ली हाईकोर्ट
ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र चाहता है कि ‘‘लोग मरते रहें’’ क्योंकि कोविड-19 के उपचार में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर ‘परिवर्तित’ प्रोटोकॉल के मुताबिक केवल ऑक्सीजन पर आश्रित मरीजों को ही यह दवा दी जा सकती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड उपचार प्रोटोकॉल में परिवर्तन पर आपत्ति जताते हुए यह टिप्पणी की।
नई दिल्ली: ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र चाहता है कि ‘‘लोग मरते रहें’’ क्योंकि कोविड-19 के उपचार में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर ‘परिवर्तित’ प्रोटोकॉल के मुताबिक केवल ऑक्सीजन पर आश्रित मरीजों को ही यह दवा दी जा सकती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड उपचार प्रोटोकॉल में परिवर्तन पर आपत्ति जताते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने केंद्र सरकार से कहा, ‘‘यह गलत है। ऐसा लगता है दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं हुआ है। अब जिनके पास ऑक्सीजन की सुविधा नहीं है उन्हें रेमडेसिविर दवा नहीं मिलेगी। ऐसा प्रतीत होता है कि आप चाहते हैं लोग मरते रहें।’’
केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि प्रोटोकॉल के तहत ऑक्सीजन की मदद पर आश्रित मरीजों को ही अब रेमडेसिविर दवा दी जा रही है। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘रेमडेसिविर की कमी की भरपाई के लिए प्रोटोकॉल नहीं बदलें। यह गलत है। इससे डॉक्टर रेमडेसिविर दवा नहीं लिख पाएंगे। अदालत ने कहा, ‘‘यह सरासर कुप्रबंधन है।’’
अदालत कोविड-19 से संक्रमित एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उन्हें रेमडेसिविर की छह खुराकों में केवल तीन खुराकें ही मिल पायी थी। अदालत के हस्तक्षेप के कारण वकील को मंगलवार (27 अप्रैल) रात बाकी खुराक मिल गयी।