पानी की समस्या:पर्याप्त पानी फिर भी एक दिन छोड़कर दे रहे सप्लाई, 7.5 लाख लोगों के लिए कम पड़ रहा 22.64 करोड़ लीटर पानी
पानी की किल्लत न होने के बाद भी नगर निगम शहर में एक दिन छोड़कर पेयजल सप्लाई कर रहा है। पानी की उपलब्धता की स्थिति खुद पीएचई के आंकड़ों से स्पष्ट है। अफसरों की मानें तो एक दिन छोड़कर होने वाली सप्लाई में 8 एमसीएफटी पानी दिया जा रहा है। यानि 15 लाख की आबादी वाले शहर में आधे लोगों को एक दिन और शेष को दूसरे दिन पानी मिलता है। आठ एमसीएफटी का मतलब 22.64 करोड़ लीटर। इतने पानी से शहर की 15 लाख आबादी को रोजाना 150 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से सप्लाई दी जा सकती है, जबकि पेयजल सप्लाई के राष्ट्रीय मानक के अनुसार एक व्यक्ति के लिए रोजाना अधिकतम 135 लीटर पानी की जरूरत होती है।
इसके बाद भी निगम अपनी खस्ताहाल वितरण व्यवस्था को छुपाने के लिए एक दिन छोड़कर सप्लाई कर रहा है। आधा शहर यानी साढ़े सात लाख लोगों को 22.64 करोड़ लीटर पानी सप्लाई का मतलब लगभग 300 लीटर प्रति व्यक्ति पानी सप्लाई तिघरा से। बोरिंग से होने वाली सप्लाई अलग है। इसके बाद भी शहर के कुछ हिस्साें में टैंकरों से सप्लाई की जा रही है। गौरतलब है कि शहर की 80 फीसदी आबादी तिघरा, 15 फीसदी आबादी बोरिंग और पांच फीसदी आबादी टैंकरों की सप्लाई पर निर्भर है। ज्ञात रहे शहर में सप्लाई होने वाले वाले पेयजल की रोजाना 30 फीसदी बर्बादी होती है। इसे प्रोजेक्ट उदय के दौरान एक दशक पहले तत्कालीन अधीक्षण यंत्री केके श्रीवास्तव ने भी स्वीकार किया था।
एक्सपर्ट व्यू; केके सारस्वत, सेवानिवृत अधीक्षण यंत्री, पीएचई
पेयज वितरण व्यवस्था ठीक न होने से पानी की हो रही बर्बादी
पेयजल वितरण व्यवस्था ठीक न होने के कारण पानी की बर्बादी ज्यादा हो रही है। कुछ क्षेत्रों में बोरिंग के साथ तिघरा की सप्लाई भी हो रही है। ऐसे क्षेत्रों में लोग पानी नालियों में बहा रहे हैं। दूसरी ओर टेलएंड पर बसे क्षेत्रों में जरूरत का पानी भी नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों को चाहिए कि सबसे पहले हर टंकी से होने वाली सप्लाई के क्षेत्रों का नक्शा तैयार करें ताकि यह पता चल सके कि किन क्षेत्रों में दोहरी सप्लाई या मानक से ज्यादा पानी पहुंच रहा है।
अमृत योजना पूरी होने के बाद सुधरेगी वितरण व्यवस्था
निश्चित रूप से पानी की सप्लाई मानक से कहीं ज्यादा हो रही है। इसके बाद भी कुछ क्षेत्रों में पानी की समस्या है। अमृत योजना का काम पूरा होने पर टंकियों से होने वाली पानी वितरण व्यवस्था सुधरेगी।े हैं।
-आरएलएस मौर्य, अधीक्षण यंत्री, पीएचई