Prayagraj: सरकार की सख्ती के बाद भी नहीं रुक रहा शवों को गंगा किनारे दफनाने का सिलसिला, गिनती करना भी हो रहा मुश्किल

प्रयागराज के श्रृंगवेश्वर धाम के पास शवों को गंगा में दफनाने का काम अब भी जारी है. घाट पर हर तरफ टीले ही नजर आ रहे हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार की सख्ती के बाद भी गंगा किनारे शवों को दफनाने का सिलसिला (Dead Body Bury In Ganga) जारी है. सरकार ने सख्त लहजे में कहा था कि किसी को भी गंगा में शव प्रवाहित करने और दफनाने की इजाजत (Govt Ban To Bury) नहीं है. इतना ही नहीं ऐसे लोगों पर नजर रखने के लिए पुलिस की पेट्रोलिंग ड्यूटी भी लगाई गई है. लेकिन सरकार की ये कोशिशें पूरी तरह से नाकाम होती नजर आ रही हैं.

प्रयागराज के श्रृंगवेश्वर धाम (Prayagraj Shranveshwar Dham) के पास शवों को गंगा में दफनाने का काम अब भी जारी है. घाट पर हर तरफ टीले ही नजर आ रहे हैं. सरकार की सख्ती के बाद भी लोग मानने को तैयार नहीं हैं और अब भी शवों को दफना रहे हैं. वहीं पुलिस भी मूक दर्शक बन कर सब कुछ देख रही है लेकिन रोक नहीं रही.

अर्थी के सामान से गंगा में हो रही गंदगी

घाट पर इतनी बड़ी तादाद में शव दफनाए जा रहे हैं कि शवों के बीच एक किमी तक का भी फासला नहीं रह गया है. यहां तक कि शव दफनाने के बाद उनके पास झंडे और डंडे भी गाड़ दिए जाते हैं. शवों के दफन करने के बाद अर्थी का सामान भी वहीं छोड़ दिया जाता है. जिससे गंगा में काफी गंदगी बढ़ रही है.

घाट पर रहने वाले पंडितों का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच बड़ी संख्या में शव घाट पर आ रहे हैं. पहले एक दिन में 8 से 10 शव ही आते थे लेकिन अब 60 से 70 शव एक दिन में यहां आ रहे हैं. वहीं कभी-कभी ये आंकड़ा 100 से भी ऊपर हो जाता है. उन्होनें कहा कि प्रशासन की रोक के बाद भी लोग अपनी मनमानी कर रहे हैं.

शवों को दफन करने की परंपरा पुरानी

पंडितों का कहना है कि शवों को दफन करने की परंपरा बहुत ही पुरानी है. शैव संप्रदाय के लोग शवों को हमेशा से दफनाते रहे हैं. इसे रोकने से धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. श्रृंगवेश्वर धाम के पुरोहित ने कहा कि जो लोग काफी गरीब होते हैं उनके पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं होते तो वह शवों को दफना देते हैं. लेकिन अब कोरोना की वजह से भी लोग ऐसा कर रहे हैं. इन दिनों पहले से ज्यादा शवों को दफनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि स्नान घाट तक शवों को दफनाने का सिलसिला जारी है.

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