गहनों का कारोबार:870 व्यापारियों पर नहीं हॉलमार्क लाइसेंस, 21 दिन में लेना होगा
- शहर के तीन सराफा बाजारों में 900 व्यापारी, सिर्फ 30 व्यापारियों ने ही लिया लाइसेंस
यदि आपको शहर में छोटे सराफा कारोबारियों से हॉलमार्क के गहने खरीदने हैं तो 15 जून तक इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल सरकार ने लॉकडाउन को देखते हुए हॉलमार्क वाले गहने बेचने की तारीख बढ़ा दी है। पहले यह एक जून से लागू होनी थी। इस समय शहर में करीब 900 सराफा कारोबारियों में से सिर्फ 30 सराफा कारोबारी ही हॉलमार्क वाले गहनों का कारोबार कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार स्थानीय सराफा कारोबारियों को पहले इसका लाइसेंस लेना पड़ेगा और फिर शहर में स्थापित लैब में हॉल मार्किंग करवानी होगी। हालांकि ब्रांडेड कंपनियों के शोरूम में हॉलमार्क जेवर पहले से ही उपलब्ध हैं।
शहर के तीनों सराफा बाजार (लश्कर, उपनगर ग्वालियर और मुरार) में बड़े स्तर पर बगैर हॉल मार्किंग के सोने के गहनाें का कारोबार होता है। इससे उपभोक्ता पर दो तरफा मार पड़ती है। एक तो खरीद पर ज्यादा दाम चुकाने पड़ते हैं, दूसरे बगैर हॉलमार्क के जेवरात पर 80 से 85 फीसदी ही सोना मिल पाता है। इसे देखते हुए ही केंद्र सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम में संशोधन करते हुए हॉल मार्किंग को अनिवार्य किया है। 24 कैरेट का सोना की सराफा कारोबारी 99.9 फीसदी शुद्धता की गारंटी देता है। 22 कैरेट में 91.6 फीसदी और 18 कैरेट में 75 फीसदी शुद्धता की गारंटी दी जाती है। बगैर हॉल मार्किंग वाले गहने बेचने पर सराफा कारोबारी उपभोक्ता से जेवरात की पूरी शुद्धता की रकम लेते हैं लेकिन जब उपभोक्ता उसे बेचने जाता है तो उसे 15 से 20% तक नुकसान उठाना पड़ता है।
हॉलमार्किंग के क्या हैं फायदे
- ग्राहकों को नकली गहनों से बचाने और स्वर्ण आभूषण कारोबार की निगरानी के लिए हॉल मार्किंग जरूरी है।
- जब ग्राहक इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी।
- हॉलमार्किंग में सोना कई चरणों में गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती।
- बीआईएस कानून के मुताबिक हॉल मार्किंग के नियम तोड़ने पर न्यूनतम 1 लाख से अिधक कीमत के गहनों की कीमत के 5 गुना तक जुर्माने और एक साल की सजा का प्रावधान है।
99.9% शुद्धता की गारंटी देता दुकानदार
24 कैरेट का सोना पूरी तरह शुद्ध माना जाता है। इसमें सराफा कारोबारी 99.9 फीसदी शुद्धता की गारंटी देता है। 22 कैरेट में 91.6 फीसदी और 18 कैरेट में 75 फीसदी शुद्धता की गारंटी दी जाती है। बगैर हॉल मार्किंग वाले गहने बेचने पर सराफा कारोबारी उपभोक्ता से जेवरात की पूरी शुद्धता की रकम लेते हैं लेकिन जब उपभोक्ता उसे बेचने जाता है तो उसे 15 से 20 फीसदी तक नुकसान उठाना पड़ता है।
कारोबारी बोले: अधिक महंगे नहीं होंगे गहने
सराफा कारोबारी अखिलेश गोयल ने बताया कि शहर में हॉल मार्किंग के लिए एक लैब है। स्वर्ण आभूषण के कारोबारियों को हॉल मार्किंग करवाने शहर से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हॉल मार्किंग से गहने अधिक महंगे भी नहीं होंगे। मसलन एक नग की हॉल मार्किंग का खर्चा 40 से 42 रुपए पड़ेगा। सराफा एसोसिएशन लश्कर के अध्यक्ष पुरुषोत्तम जैन ने कहा कि हॉलमार्किंग का फायदा स्वर्ण आभूषण कारोबारी और ग्राहक को होगा। एसोसिएशन का प्रयास रहेगा कि कारोबारियों को हॉल मार्किंग का लाइसेंस दिलवाकर सरकार के इस नियम का पालन करवाया जाए।