भिण्ड : 39 में से 18 वार्डों की खुदी पड़ी सड़कें, बारिश में बनीं मुसीबत ….?
भिण्ड. शहर के मुख्य ए वं आवासीय इलाकों के आम मार्ग आमजन के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। दरअसल वर्ष 2018 में शहर के अलग-अलग वार्डों की सड़कों को सीवर परियोजना एवं नलजल योजना के तहत खोदा गया था। उसके बाद से सडक़ों को दुरुस्त नहीं किया गया।
उल्लेखनीय है कि शहर में कुल 39 वार्ड हैं जिनमें से 18 वार्डों के आम मार्गों को पाइप लाइन बिछाए जाने के बाद दुरुस्त नहीं किया गया है। आलम ये है कि लोगों को न सिर्फ हादसों का शिकार होना पड़ रहा है बल्कि कीचड़ और दलदल के बीच होकर आवागमन करना पड़ रहा है। बतादें कि धूप होने पर खुदी पड़ी सडक़ों से वाहन गुजरने के दौरान उठने वाले धूल के गुबार लोगों के लिए बीमारी का सबब बन रहे हैं। रोड किनारे बिकने वाली खाद्य सामग्री भी दूषित हो रही हैं। यहां तक के धूल की रज घरों के अंदर तक पहुंच रही है। ऐसे में लोग दमा जैसी बीमारी से ग्रसित होने को लेकर आशंकित हैं। वहीं बरसात में जर्जर सडक़ों की धूल कीचड़ और दलदल में बदल जाती है।
रात में हादसे का खतरा
विदित हो कि दिन में तो लोग सडक़ के बीचों बीच दिख रहे सीवर लाइन के चेंबर से बचकर निकल जाते हैं। लेकिन रात के वक्त वहीं चेंबर नजर नहीं आते। ऐसे में लोगों का आशंका है कि कभी जनहानि भरी सडक़ दुर्घटना भी घटित हो सकती है। खासतौर से आवासीय इलाकों में खुदी पड़ी सडक़ें मुसीबत बनी हुई हैं। दरअसल सडक़ से पैदल गुजरते वक्त पैरों के अलावा कपड़े तक खराब हो जाते हैं जबकि बाइक से आवागमन करने पर बाइक फिसलकर या चेंबर से उलझकर गिरने के दौरान लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं।
दो लाख से अधिक आबादी वाले शहर में लगभग 50 फीसद क्षेत्र में सड़कें खराब हालत में हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी रोज स्कूल जाने वाले नौनिहालों के अलावा अस्पताल तथा सैर सपाटे के लिए आवागमन करने वाले वरिष्ठजन तथा खरीददारी, नौकरी तथा कारोबार के लिए आवाजाही करने वाली महिलाओं को सर्वाधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आमजन खुदी पड़ी सडक़ों से बेहद परेशान हैं।