भिण्ड : जिले भर के 33 अस्पतालजिले के अस्पतालों में डॉक्टरों का टोटा, इलाज के लिए परेशान हो रहे मरीज
भिण्ड. जिला अस्पताल सहित जिले भर के 33 अस्पताल चिकित्सक अमले की कमी से जूझ रहे हैं। अस्पतालों में मरीजों को उपचार मिलने के बजाए परेशान और निराशा ही मिल पा रही है। मजबूरन लोग अपने मरीज को प्राइवेट अस्पतालों का महंगा इलाज करवा रहे हैं। आर्थिक रूप से कमजोर तबका अपने मरीज को ग्वालियर के जेएएच में भर्ती कराने को विवश है।
जिला अस्पताल के लिए स्वीकृत 39 विशेष चिकित्सकों में से महज 03 ही पदस्थ हैं जबकि 33 स्पेशलिस्ट चिकित्सक गुजरे 20 साल में भी अस्पताल को नहीं मिल पाए। लिहाजा अलग-अलग रोगों के मरीजों को जिला अस्पताल में मेडीकल ऑफीसर ही देखते आ रहे हैं। कहने को जिला अस्पताल तमाम संसाधनों से सुसज्जित हो गया है लेकिन विशेष चिकित्सक नहीं होने की समस्या खत्म नहीं हो पा रही। उल्लेखनीय है कि जहां शहर की आबादी दो लाख से अधिक है वहीं जिले भर की जनसंख्या करीब 25 लाख है। इतनी आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सिर्फ मरहम पट्टी या खांसी जुकाम का इलाज ही मयस्सर हो पा रहा है।
ये है जिले के अन्य अस्पतालों का हाल
लहार के 01 सिविल अस्पताल के अलावा मेहगांव, गोरमी, गोहद, मालनपुर, मौ, फूप, रौन आदि क्षेत्र के 07 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 24 अलग-अलग गावों में संचालित 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। आलम ये है कि बीमार होने की स्थिति में जहां गरीब तबके को कर्जदार होकर अपने मरीज का इलाज कराना पड़ रहा है वहीं मध्यम वर्गीय परिवार बीमार परिजन के इलाज में आर्थिक तंगी के भंवर में पिस रहा है। अभी तक जिले में किसी भी जनप्रतिनिधि या मंत्री ने विकराल होती इस समस्या को शासन के पटल पर प्रमुखता से नहीं रख पाया है। यही वजह है कि जिले में दो दशक से अस्पताल विषेषज्ञ चिकित्सक विहीन होकर चल रहे हैं।