सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पेगासस जासूसी कांड, याचिका में सॉफ्टवेयर पर बैन और SIT जांच की लगाई गुहार

सुप्रीम कोर्ट के वकील एम.एल शर्मा द्वारा दायर की गई याचिका में पेगासस सॉफ्टवरेयर को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इसके इस्तेमाल को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई है.

पेगासस जासूसी कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट के वकील एम.एल शर्मा द्वारा दायर की गई याचिका पर कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है. इस याचिका में जासूसी कांड की सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT से जांच करवाने की मांग की गई है. साथ ही पेगासस जासूसी सॉफ्टवरेयर को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए इसके इस्तेमाल को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई गई है.

कांग्रेस ने पेगासस जासूसी पर की जेपीसी जांच की मांग

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (डीपीसीसी) के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने विपक्षी नेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के फोन नम्बरों सहित कम से कम 300 फोन नंबरों की जासूसी करने के लिए इजराइली स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के कथित इस्तेमाल की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की बुधवार को मांग की.

जासूसी की सूची में राहुल गांधी का भी नाम होने का दावा

चौधरी अनिल कुमार ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम भी निगरानी वाले संभावित लक्ष्यों की सूची में है. उन्होंने दावा किया कि गांधी मौजूदा सरकार का ‘लक्ष्य’ बने क्योंकि वह राफेल सौदे में भ्रष्टाचार, किसान आंदोलन और कोविड महामारी के कुप्रबंधन जैसे ‘असुविधाजनक मुद्दों’ को लगातार उठाते रहे हैं. कुमार ने डीपीसीसी कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मोदी सरकार को जेपीसी जांच के जरिए इस मुद्दे पर खुद को पाक-साफ साबित करना चाहिए.’

कुमार ने विपक्षी नेताओं और अन्य प्रमुख नागरिकों के फोन की कथित जासूसी पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. गौरतलब है कि एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने खुलासा किया है कि इजराइली जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिये भारत के दो मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक किए गए होंगे.

सचिन पायलट ने भी की निष्‍पक्ष जांच की मांग

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने पेगासस जासूसी मामले की तुरंत प्रभाव से निष्पक्ष जांच की मांग की है ताकि इसके लिए जवाबदेही तय हो. पायलट ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि भारत सरकार इसकी जांच करेगी, तो उससे सच कभी सामने आयेगा नहीं.. इसलिये कांग्रेस की भी मांग है कि इसकी जांच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के स्तर पर समयबद्ध तरीके से हो. उन्होंने कहा कि इस मामले की तह तक जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि फ्रांस की सरकार ने तो इस मामले की गंभीर जांच के आदेश भी दिए हैं.

उन्होंने कहा कि ‘कौन लोग, कौन-सी सरकार, कौन व्यक्ति इसके लिये जिम्मेदार थे? जवाबदेही तय करने के लिए तुरंत प्रभाव से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. चाहे वह संयुक्त संसदीय कमेटी हो, चाहे उच्चतम न्यायालय के संरक्षण में जांच की जाए ताकि सच्चाई सामने आये.’ पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों के मन में सवाल उठ रहे है कि सरकार बोलती है कि हमने गैर कानूनी नहीं किया तो फिर किसके माध्यम से भुगतान हुआ, किसने करवाया, कब तक करवाया और निष्पक्ष जांच से बहुत सारे खुलासे होंगे एवं हम इसकी तह तक पहुंचेंगे

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