जानना जरूरी है:टोक्यो ओलिंपिक में गए खिलाड़ियों में 73% मिडिल क्लास के हैं और 55% जनरल कैटेगरी के, प्लेयर्स ऐसे भी जिनकी मां-बहन झाड़ू-पोछा करती हैं

हम जात से कहां जाते हैं, दो वाकया देखिये…

पहला: मैदान टोक्यो ओलंपिक का, दिन बुधवार, तारीख 4 अगस्त… अपनी महिला हॉकी टीम खूब लड़ी। मैदान के इंच-इंच, हॉकी-हॉकी और गेंद-गेंद तक। फिर भी अर्जेंटीना के खिलाफ सेमीफाइनल हार गई। बस क्या था, कुछ लोग अपनी ही फॉरवर्ड खिलाड़ी वंदना कटारिया के घर पहुंच गए और उनकी जाति की गाली देने लगे, ये कहकर कि दलित खिलाड़ियों के कारण हम हार गए। शहर था हरिद्वार।

दूसरा: मैदान टोक्यो ओलंपिक का, दिन रविवार, तारीख 1 अगस्त… शटलर पीवी सिंधु पसीने की बूंद-बूंद नाप रही थीं। आखिरकार चीनी खिलाड़ी जियाओ बिंग हे को हराया और ब्राॅन्ज मेडल जीत लाईं। लेकिन लोग गूगल पर उनकी जात खोजते रहे। इतना खोजा कि pv sindhu caste दिनभर टॉप ट्रेंड में रहा। खोजने वाले पूरे देश से थे, लेकिन उत्तराखंड, आंध्र, तेलंगाना और हिमाचल अव्वल था।

आखिर हमें खेल से कम, खिलाड़यों की जाति से ज्यादा मतलब है। तो हमने टोक्यो गए अपने 128 खिलाड़ियों का पूरा हिसाब-किताब खंगाला, लेकिन हम खिलाड़ियों की जाति नहीं, उनकी सामाजिक भागीदारी बता रहे। यानी किस घर-परिवार के हैं, किस राज्य से हैं, कितना कमाते-खाते हैं, किस कैटेगरी से आते हैं। आइए बारी-बारी से चलते हैं…

1. कैटेगरी एनालिसिसः सबसे ज्यादा जनरल कैटेगरी खिलाड़ी, लेकिन पंजाब-हरियाणा के जाट, जो OBC में आने की लड़ाई लड़ रहे हैं

हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के 52 खिलाड़ियों में से 90% से ज्यादा जाट परिवारों से आते हैं, जो फिलहाल जनरल कैटेगरी आते हैं, लेकिन वे खुद को पिछड़ा वर्ग में शाामिल करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है। ये एनालिसिस 106 खिलाड़ियों की है।

2. आर्थ‌िक हालात पर एनालिसिसः मिडिल क्लास के खिलाड़ी सबसे ज्यादा, लेकिन स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी मिलने के बाद परिवार की हालत सुधरी

इसमें भी जो मिडिल क्लास दिख रहा है, उसमें भी 50% से ज्यादा वो हैं, जिन्हें स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी मिलने के बाद उनके परिवारों की हालत सुधरी है। नहीं तो देश के लिए मैडल जीतने वाले ये खिलाड़ी, असल जिंदगी में रोज कुश्ती लड़ रहे होते हैं।

टोक्यो ओलंपिक में भी ऐसे परिवारों के लड़के-लड़कियां हैं, जिनकी मां-बहनें दूसरे के घरों में झाड़ू-पोछा करती हैं, 10 खिलाड़ियों के बारे में जानिए-

  1. हरियाणा के एथलीट संदीप कुमार के पिता गांव में बकरी चराते हैं और दूसरे के खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।
  2. झारखंड की हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे के पिता और बहनें मजदूरी कर के घर चलाती हैं। उनके घर में ओलिंपिक देखने के लिए टीवी नहीं था, तो अभी CM के कहने पर टीवी लगी है। ये हमारी हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे का घर है।
  3. हरियाणा की हॉकी प्लेयर नेहा गोयल की मां ने लोगों के घरों में झाड़ू-पोंछा करके तीन बेटियों को पाला है। इनके पास फिलहाल गांव में एक 50 गज का मकान है।
  4. राजस्‍थान की एथलीट भावना जाट रेलवे में नौकरी जरूर करती हैं, लेकिन ओलिंपिक में गईं तो उन्हें लीव विदाउट पे यानी बिना सैलरी की जॉब पर रहना पड़ा। इनके पिता और भाई बीमार रहते हैं। उनके इलाज के लिए कोच ने मदद की है, तब जाकर वो ओलिंपिक खेलने गई हैं।
  5. हरियाणा की हॉकी प्लेयर निशा वारसी के पिता दर्जी थे, कपड़े सिलते थे। कपड़े सिलकर जो पैसे मिलते थे, उसी से घर चलाते और उसी पैसे से बच्ची को हॉकी खेलने के लिए सबकुछ जुटाकर देते थे।
  6. हरियाणा के शूटिंग के खिलाड़ी संजीव राजपूत के पापा पहले फास्ट फूड की रेहड़ी लगाते थे। संजीव के पापा ने अब जाकर रेहड़ी लगाना बंद किया है। लेकिन जब तक संजीव ट्रेनिंग कर रहे थे तो उन्हें पापा अपनी रेहड़ी की कमाई से ही पैसे देते थे।
  7. हॉकी की कप्तान रानी रामपाल के पिता पहले घोड़ागाड़ी चलाते थे। रानी रामपाल के पापा ने अब घोड़ागाड़ी चलानी बंद कर दी है। ये तस्वीर कुछ साल पुरानी है। लेकिन जब रानी रामपाल बड़ी नाम नहीं बनी थीं, तब तक उनके पिता यही करते थे।
  8. हरियाणा के कुश्ती खिलाड़ी दीपक पूनिया के पिता लोगों के घर दूध पहुंचाते हैं। ओलिंपिक में अपने बच्चे का खेल देखता दीपक पुनिया का परिवार।
  9. मैडल जीतने वाली मणिपुर की मीराबाई चानू के पापा दूसरों के खेत में हल चलाते थे। अब हालत सुधर रही है। चानू के परिवार के कई लोग दूसरे खेतों में जाकर मजदूरी करते हैं।
  10. मैडल विजेता हरियाणा के रवि दहिया का परिवार किसानी करता है और अब उनके हालत सुधरने शुरू हुए हैं। अब जाकर रवि दहिया के परिवार को लोग सम्मान दे रहे हैं। नहीं तो ये छोटे किसान का परिवार अपनी रोजी-रोटी में ही परेशान रहता था।

3. सामाजिक हालत पर एनालिसिसः 48% किसान परिवार से आते हैं खिलाड़ी

बड़े बिजनेस से अंगद बाजवा जैसे केवल इक्का-दुक्का नाम नजर आते हैं। और आखिर में हम ये भी बात देते हैं कि कौन से वो राज्य हैं, जो ओलिंपिक के लिए खिलाड़ी तैयार कर पा रहे हैं। लिस्ट स्क्रीन पर आपको दिख रही होगी।

4. राज्यवार एनालिसिसः मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे बड़े राज्यों के केवल 2-2 खिलाड़ी हैं
128 में से 50 खिलाड़ी केवल पंजाब हरियाणा के हैं। बिहार, छत्तीसगढ़ और गोवा से एक भी खिलाड़ी नहीं है।

ये 127 खिलाड़ियों की लिस्ट है। अ‌रिबन लाहिरी ऐसे खिलाड़ी हैं, जो अमेरिका के फ्लोरिडा में रहते हैं। इनमें कुछ खिलाड़ियों पर दो-दो राज्य दावा करते हैं। क्योंकि वो पैदा दूसरे राज्य में और ट्रेनिंग दूसरे राज्य में किए होते हैं। जैसे विवेक सागर बिहार के रघुनाथपुर में पैदा हुए लेकिन अब मध्य प्रदेश के इटारसी में रहते हैं।

‘जानना जरूरी है’ में आज इतना ही। इस स्टोरी पर आपकी कोई प्रतिक्रिया हो, आगे किसी विषय को आप अच्छी तरह से समझना चाहते हों, तो curationteam@dbdigital.in पर ईमेल कर सकते हैं।

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