MP के इस अस्पताल में दवा घोटाला, कुंए में फेंके गए लाखों के इंजेक्शन
भिंड जिला अस्पताल का जहां लोगों की प्यास बुझाने के काम आने वाले कुएं को भ्रष्टाचार को छिपाने के काम में लाया जा रहा है. कुएं में लाखों के इंजेक्शन फेंके जा रहे हैं.
भिंड: कई लोग हर साल इलाज के अभाव में अपनी जान गंवाते हैं. महंगी दवाओं के लिए पैसों की कमी से कितने लोग बीमारी से लड़ते हुए मर जाते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के भिंड जिले में दवाओं की कचरे की तरह फेंका जा रहा है. यह मामला है भिंड जिला अस्पताल का जहां लोगों की प्यास बुझाने के काम आने वाले कुएं को भ्रष्टाचार को छिपाने के काम में लाया जा रहा है. कुएं में लाखों के इंजेक्शन फेंके जा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने पूरे जिले और स्वास्थ्य विभाग में हड़कम्प मचा दिया है. वीडियो में कुछ लोग जिला अस्पताल में बने एक कुएं में हजारों अन्यूज्ड इंजेक्शन और दवाओं को डंप करते नजर आ रहे हैं. जो लोग ऐसा कर रहे हैं वह कोई और नहीं बल्कि जिला अस्पताल के मुख्य मेडिकल स्टोर के कर्मचारी ही हैं.इस वीडियो के वायरल होने के बाद जब जी मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ की टीम ने मौके पर जाकर देखा कुएं के आसपास इंजेक्शन पड़े हुए मिले.
ओपीडी बंद होने के कारण बचा दवाओं का स्टॉक
अंदाजा लगाया जा रहा है कि कोरोना काल में ओपीडी बंद रहने से दवाओं का स्टॉक इकट्ठा था. ऐसे में शासन को चपत लगा कर नया स्टॉक ऑर्डर करने के लिए अनएक्सपायरी दवाओं को कुएं में डंप कर दिया गया. जिससे नया ऑर्डर पर कमीशनखोरी की जा सके.
सिविल सर्जन ने दिए जांच के आदेश
जब इस सम्बंध में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. अनिल गोयल से ने बताया की वीडियो उन्होंने भी देखा है. उनके अनुसार कर्मचारियों का कहना है कि वे नए हैं, जिसकी वजह से उन्हें पता नहीं था मेडिकल वेस्ट कहां डालना है, तो उन्होंने कुएं में डाल दिया. पुराने स्टोर कर्मचारियों के जिक्र पर सिविल सर्जन का कहना है कि उन्होंने इस सम्बंध में जांच गठित कर दी है, साथ ही वीडियो में नजर आ रहे सभी कर्मचारियों को नोटिस भी जारी किए हैं.
डॉक्टर ने बताया बड़ा घोटाला
एक डॉक्टर ने बताया कि यह एक बड़ा घोटाला है, यह पूरा खेल बड़े स्तर पर चलता है. स्टॉक खत्म होने पर दवाओं का नया ऑर्डर लगाया जाता है, जिसमें जल्द एक्सपायरी होने वाली दवाएं आधी कीमत पर खरीदी जाती हैं. जिसके बाद उन्हें दो से तीन महीनों तक गोदाम में रखा जाता है और फिर स्टॉक खत्म दिखाने के लिए एक्सपायर बताकर नष्ट कर दिया जाता है. इस तरह पूरा घोटाला बिना किसी की नजर में आए दब जाता है.