चंबल नदी में हैं ऐसे बैक्टीरियोफेज, जिनसे एंटी बायोटिक रेसिस्टेंस जीन का चल सकता है पता
रिसर्च में सामने आया है कि चंबल नदी में ऐसे बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं!…..
इंटरनेशनल कालवोरेशन एवं स्टडी विजिट के अंतर्गत हुए विस्तार व्याख्यान में बोली प्रो जूलियानी ग्रोस
bacteriophages in Chambal:ग्वालियर. । एंटीबायोटिक दवाएं किसी मरीज की जान बचाने में मुख्य भूमिका निभाती हैं, लेकिन जिस तरह से एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल आजकल किया जा रहा है, उससे एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस की समस्या पैदा होती जा रही है। यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक स्थिति है। एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस से हर साल सात लाख लोगों की जान जा रही है। रिसर्च में सामने आया है कि चंबल नदी में ऐसे बैक्टीरियोफेज मौजूद हैं, जिनके माध्यम से एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस जीन का पता लगाया जा सकता है। जरूरत उन बैक्टीरियोफेज को ढूंढ निकालने की। यह जानकारी यूएसए की बर्घिगम यंग यूनिवर्सिटी से आए प्रो जूलियानी ग्रोस ने कही। वह जेयू के वानस्पतिकी अध्ययनशाला में इंटरनेशनल कालबेरेशन एवं स्टडी विजिट के अंतर्गत हुए विस्तार व्याख्यान में बोल रही थी। प्रो ग्रोस इस व्याख्यान में अपने 12 विद्यार्थियों के साथ उपस्थित थे। प्रो ग्रोस बैक्टीरियोफेज को आइसोलेट करने की तकनीक जेयू के छात्रों को बयोटेक्नोलाजी विभाग में 9 मई को बताएंगी।
सीआईएफ लैब में उपकरणों की जानकारी ली
प्रो. ग्रोस ने छात्रों व शिक्षकों के साथ सीआईएफ लैब पहुचीं। सीआईएफ विभाग में कार्यरत सीनियर टेक्निशियन वीरेन्द्र शंखवार, दीपक पाडे, एवं हेमंत प्रजापति द्वारा छात्रों को नवीन उपकरणों पर जानकारी प्रदान की गई व साथ ही छात्र व छात्राओ द्वारा पूछे गये प्रश्नोत्तर के जबाब भी दिए गए।