शिवराज सरकार ने कदम खींचे पीछे! कोरोना से अपने माता या पिता को खोने वाले बच्चों को नहीं मिल रहा लाभ, बदली गई शर्तें

कोरोना से माता या पिता में से एक को खोने की शर्त का उल्लेख फॉर्म में किया गया था. अब वेबसाइट में जो शर्तें लिखी गई हैं उसमें इस बिंदु को हटा दिया गया है.

कोरोना काल के दौरान मध्य प्रदेश (MP) में कई बच्चों के सिर से माता या पिता या दोनों का साया उठ गया था (Parents Deaths Due to Corona) . जिसके बाद ऐसे बच्चों की आर्थिक मदद के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh) ने कोविड-19 बाल सेवा योजना लागू की. जिसके बाद अब यह फायदा केवल उन बच्चों को दिया जा रहा है, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोरोना से हुई है. जिसके बाद कई बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया था लेकिन वह अब तक मदद से महरूम हैं (Children not getting Benefit of Scheme).

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 13 मई को इस योजना का ऐलान किया था, उस समय यह कहा गया था कि जिन बच्चों के माता या पिता का देहांत कोरोना की वजह से हुआ है, उन्हें आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाएगी. सरकार की इस योजना के फॉर्म में भी यह बात दर्ज थी कि माता या पिता दोनों में से किसी की भी अगर मृत्यु कोरोना के चलते हुई है, तो उस बच्चे को ऐसी योजना का लाभ मिलेगा. संख्या बहुत ज्यादा होने की वजह से अब सरकार ने इस शर्त को बदल दिया है. अब यह फायदा केवल उन बच्चों को दिया जा रहा है, जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु कोविड-19 की वजह से हो गई है.

सभी आवेदन लेने पर सरकार पर बढ़ेगा अतिरिक्त बोझ

अभी तक सरकार के पास 930 आवेदन आ चुके हैं, जिसमें से कई बच्चों को सहायता उपलब्ध कराई जा चुकी है. सूत्रों की माने तो अगर सभी से‌ एप्लिकेशन ली जाती है, तो 10 हजार से‌ ज्यादा एप्लिकेशन हो जाएंगी. इसके चलते सरकार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. TV9 के पास वह दोनों दस्तावेज मौजूद है जिसमें पहले इस शर्त का उल्लेख फॉर्म में किया गया था लेकिन वेबसाइट में जो शर्ते उल्लेखित हैं, उसमें इस बिंदु को हटा दिया गया है. नियम में बदलाव के चलते कई परिवार मदद से वंचित रह गए हैं.

पीड़ित ने जब DM से मांगी मदद तब चला बदलाव का पता

इंदौर के पास उमरीखेड़ा में रहने वाले शशिकांत शर्मा को कोरोना के कारण 16 मार्च 2021 को मौत हुई थी. शशिकांत शर्मा ड्राइवरी का काम करते थे और अपने घर की आर्थिक स्थिति को संभाले हुए थे. उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी विनीता शर्मा और बेटा प्रिंस शर्मा पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. विनीता शर्मा का कहना है कि पति के इलाज के लिए घर तक को गिरवी रखना पड़ा और जेवरात को भी बेचना पड़ा था. पति की मौत के बाद विनीता एक चॉकलेट कंपनी में मात्र ₹5000 की नौकरी कर रही है. विनीता शर्मा ने कहा कि उन्होंने कलेक्टर से भी मुलाकात करके बाल कल्याण योजना के तहत सहायता मांगी तो उन्हें बताया गया कि जिन बच्चों के माता और पिता दोनों का देहांत हुआ है सिर्फ उन्हीं बच्चों को यह सहायता मिलेगी.

गृह मंत्री बोले- माता या पिता में से एक की मौत के प्रस्ताव पर किया जा रहा विचार

फिलहाल सांसद शंकर लालवानी ने बच्चे की स्कूल फीस भर दी लेकिन अगली बार कौन मदद करेगा ये बड़ा सवाल है. मामले में गृह मंत्री और सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जिन बच्चों के सिर से माता पिता का साया उठ गया है, उन्हें मदद पहुंचाई जा रही है. जहां तक दोनों में से एक के निधन पर सहायता का प्रश्न है तो वह प्रस्ताव अभी सरकार के पास लंबित है और उस पर विचार किया जा रहा है. 10वीं में पढ़ने वाले प्रिंस शर्मा की तरह सूबे में ऐसे कई बच्चे हैं जिन्होंने कोरोना में अपने मां या पिता को खोया है. इन बच्चों ने बाल कल्याण योजना के तहत आवेदन किया था लेकिन वह अब तक मदद से महरूम हैं.

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