भाजपा ने 5 CM बदल डाले, कुछ नहीं हुआ; पंजाब में ऐसी कोशिश कर रही कांग्रेस के सामने नाक बचाने की चुनौती

भाजपा का शॉट खेलने में कांग्रेस हिट विकेट

कांग्रेस में अपमानित होने का हवाला देकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया। जिस तंजभरे अंदाज में उन्होंने कहा कि हाईकमान जिसे मर्जी मुख्यमंत्री बनाए, उससे साफ है कि पंजाब में कांग्रेस और नए मुख्यमंत्री की राह आसान नहीं होने वाली।भाजपा ने 6 महीने में 5 मुख्यमंत्री बदल डाले। चुनावों से पहले भाजपा ने ये कदम जीत की रणनीति के तहत उठाए हैं और छुटपुट विरोध के बावजूद हाईकमान का फैसला शांति से स्वीकार कर लिया गया।

दूसरी ओर, पंजाब में इसी तरह का पॉलिटिकल शॉट खेल रही कांग्रेस हिट विकेट होती नजर आ रही है। क्योंकि, पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं और ऐसे में आने वाले वक्त में कांग्रेस के सामने चुनौती नाक बचाने की होगी। क्यों, जानिए वो वजहें…

कैप्टन को 25 विधायकों का सपोर्ट
जिस वक्त कैप्टन अमरिंदर इस्तीफा देने के लिए राजभवन निकले, उस वक्त उनके आवास पर 19 कांग्रेस विधायक मौजूद थे। बताया जा रहा है कि कम से कम 25 विधायक उनके समर्थन में हैं। ऐसे में कांग्रेस मुख्यमंत्री भले ही किसे भी बनाए, पार्टी के भीतर पनपे असंतोष को दबा पाना उनके लिए चुनौती।

कांग्रेस छोड़ी तो पंजाब की पॉलिटिक्स बदलेगी
6 महीने में ही पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस्तीफे के बाद अमरिंदर ने कह दिया है कि फ्यूचर पॉलिटिक्स का विकल्प खुला हुआ है। उन्होंने कहा कि साथियों से चर्चा के बाद भविष्य की राजनीति पर फैसला लेंगे। अगर वे कांग्रेस से इतर अपना राजनीतिक भविष्य तलाशते हैं, तो कांग्रेस न केवल बड़ा नेता खो देगी, बल्कि चुनावों से ऐन पहले कमजोर भी पड़ जाएगी।

भाजपा के लिए ये बड़ा मौका बन सकता है
कैप्टन के दिल में कांग्रेस के अलावा भाजपा के लिए भी प्यार कई बार दिखाई दिया है। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले जब कांग्रेस ने उन्हें नजरंदाज किया था, तब भी वे भाजपा में जाने का मन बना चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी नजदीकी छिपी नहीं है। अमरिंदर जब भी दिल्ली जाते हैं तो उन्हें PM से मुलाकात का वक्त आसानी से मिल जाता है। वे अक्सर गृहमंत्री अमित शाह से भी मिलते रहते हैं। अब कैप्टन के इस्तीफे के बाद भाजपा इसे अपने लिए बड़े मौके में बदल सकती है। सूत्रों के मुताबिक, कैप्टन भाजपा लीडरशिप से संपर्क में बने हुए हैं।

नए मुख्यमंत्री के लिए कांटों भरी कुर्सी
करीब 25 विधायकों के समर्थन के साथ अमरिंदर ने साफ कह दिया है- हाईकमान जिसे मर्जी मुख्यमंत्री बना दे। यानी, नए मुख्यमंत्री को अमरिंदर और उनके समर्थकों का हर कदम पर विरोध ही झेलना पड़ेगा। जिस तरह अमरिंदर को निशाना बनाया गया, उसी तर्ज पर अमरिंदर भी पलटवार करेंगे। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की ये अंदरूनी कलह उसकी छवि और वोट शेयर पर भी असर डाल सकती है।

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