बेहतर जल प्रबंधन व्यवस्था:इंदौर में पेयजल की बर्बादी, प्लानिंग से 50 प्रतिशत पानी में हो सकेगा गुजारा

  • मंत्री सिलावट के साथ के साथ विभिन्न संगठनों की बैठक

इंदौर में पेयजल की हो रही बर्बादी को रोकने के लिए विभिन्न संगठनों ने इंदौर उत्थान अभियान के नेतृत्व में रेसीडेंसी कोठी में जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट से चर्चा की। इस दौरान बताया गया कि बेहतर प्लानिंग से इंदौर में होने वाली पानी की बर्बादी को न सिर्फ रोका जा सकता है बल्कि इंदौर को जलप्रबंधन में भी नंबर 1 बनाया जा सकता है।

अभियान के अध्यक्ष अजीत सिंह नारंग ने कहा हमारे अध्ययन यह दर्शाते हैं कि कुशल व अनुभवी इंजीनियर्स, वित्तीय विश्लेषक, अर्थशास्त्री विधि, ह्यूमन रिलेशन तथा जनसंपर्क क्षेत्र के विशेषज्ञ किसी भी योजना के सफल संचालन के प्रमुख स्तंभ होते हैं। बेहतर जल प्रबंधन व्यवस्था से न केवल 140 करोड़ से अधिक का घाटा समाप्त होगा बल्कि नर्मदा से केवल 50 प्रतिशत पानी ही लाना होगा।

निम्न आय वर्ग पर प्रस्तावित कि गई जल दरों से कोई भी विपरीत आर्थिक प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। इंदौर को महानगर घोषित किए जाने पर नारंग द्वारा कहा गया कि इस घोषणा से सिर्फ आधे शहर के हिस्से में होने वाले विकास को सुनियोजित करने का प्रयास किया गया हैI इस प्रकार का आधा-अधूरा महानगर देश में कही भी नहीं घोषित हुआ हैI

सिलावट ने कहा गहन अध्ययन सिर्फ इंदौर को ही नहीं, प्रदेश को ही नहीं बल्कि सारे देश को प्रेरित करेगा। मैंने इंदौर आने के पूर्व ही स्थानीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से बात कर ली थी। वे इंदौर शीघ्र आएंगे और आप लोगों से चर्चा कर त्वरित कार्रवाई करेंगे। मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी निवेदन किया है।

र्यक्रम में प्रमुख रूप से शिवाजी मोहिते, बीके गुप्ता, इंजीनियर महेश राजवैद्य, प्रो. रमेश मंगल, रामेश्वर गुप्ता, प्रीतमलाल दुआ, ओम नरेड़ा, गौतम कोठारी, प्रमोद डफरिया, महेश गुप्ता, अशोक बड़जात्या, दीपक शाह, राजेंद्र सिंह जैन, डीएस परिहार, एएसआईएस पाल, श्याम सुंदर यादव व अन्य थे।

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