मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पूछा, टोल टैक्स देने के बाद भी लोग गड्ढों में चलने पर मजबूर क्यों
न्यायालय ने पूछा है कि मनमाना टैक्स वसूलने के बावजूद बायपास का रखरखाव क्यों नहीं हो रहा?
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने बायपास का रखरखाव ठीक से नहीं होने पर संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, केंद्र और प्रदेश सरकार सहित गायत्री प्रोजेक्ट लिमिटेड तर्फे इंदौर-देवास टोलवे लिमिटेड को नोटिस जारी कर न्यायालय ने पूछा है कि मनमाना टैक्स वसूलने के बावजूद बायपास का रखरखाव क्यों नहीं हो रहा? आम आदमी बदहाल और गड्ढों से भरी सड़क से गुजरने को मजबूर क्यों है? पक्षकारों को 12 नवंबर से पहले जवाब देना है। सोमवार को न्यायमूर्ति सुजाय पाल और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा के समक्ष देवास बायपास की बदहाली को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई। उल्लेखनीय है कि नईदुनिया द्वारा लगातार बायपास की बदहाली को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है।
याचिका संस्था मातृ फाउंडेशन ने अभिभाषक अमेय बजाज के माध्यम से दायर की है। देवास बायपास बीओटी प्रोजेक्ट के तहत हैदराबाद की कंपनी गायत्री प्रोजेक्ट लिमिटेड को दिया गया था। शर्तों के मुताबिक कंपनी को स्ट्रीट लाइट, लैंड स्केपिंग, पौधारोपण, ट्रक ले बाय, ट्रैफिक ऐड पोस्ट, पेडेस्ट्रियन सुविधा, सुविधाघर आदि सुविधाएं आम मुसाफिर के लिए उपलब्ध करानी थीं, लेकिन कंपनी ऐसा नहीं कर रही है। पूरे बापयास पर गड्ढे ही गड्ढे हैं।
मधुमिलन सर्कल और केसरबाग ब्रिज पर भी परेशानी
– चाणक्यपुरी की ओर से केसरबाग ब्रिज पर चढ़ते समय सड़क का पूरा हिस्सा खराब है। एक दिन पहले वहां गड्ढों में मुरम भरी गई थी, जो बारिश में फैल गई और कीचड़ हो रहा है। इससे वाहन चालकों को काफी तकलीफ हो रही
– नौलखा से भंवरकुआं की ओर जाने वाले मार्ग पर पेट्रोल पंप के सामने सड़क पर चार फीट चौड़ा गड्ढा है, जहां कई दोपहिया वाहन चालक गिरते हैं।