पुराना सोना कितना खरा:फेस्टिव सीजन में गोल्ड एक्सचेंज ऑफर के नाम पर हो रही है हजारों की हेराफेरी, जानिए- परदे के पीछे का खेल
- बिना ज्वेलरी शॉप में जाए मात्र 35 रुपये में पता कर सकते हैं सोने की शुद्धता….
सड़क से गुजरते वक्त अगर आपको भी ज्वेलरी पर भारी डिस्काउंट का वादा करते हुए बड़े-बड़े ऐडवरटाइजिंग बोर्ड दिखाई दे रहे हैं, जिसे देख आप गहने खरीदने का मन बना चुकी हैं, तो एक बार इस रिपोर्ट को जरूर ध्यान से पढ़ें। हो सकता है आप खुद को ठगी का शिकार होने से बचा सकें। साथ ही ये भी पता लगा सकें कि जो सोना आप खरीदने जा रहीं है वो असल में कितना खरा है।
टीम से दिनेश मिश्र और सुनाक्षी गुप्ता ने त्योहारों के सीजन में दिल्ली और उत्तर प्रदेश की ब्रांडेड ज्वेलरी शॉप से लेकर सराफा बाजार तक का चक्कर लगाया। ज्वेलरी की दुकानों पर काम करने वाले लोगों से बात कर ज्वेलर्स के धमाकेदार एक्सचेंज ऑफर और पुराने के बदले में कम मेकिंग चार्ज के साथ नई ज्वेलरी बनाने के पीछे के खेल को समझा। इस रिपोर्ट में पढ़िए कि कैसे खरीदार की आंखों के सामने ही उसे चकमा देकर लाखों का फायदा उठाते हैं ज्वेलर्स।
ठगी की भेंट तो नहीं चढ़ रहा आपका सोना
धनतेरस और दिवाली जैसे त्योहार आने वाले हैं। ज्यादातर महिलाएं ऐसे मौकों पर गोल्ड खरीदना पसंद करती हैं। ज्यादा उम्र की महिलाएं पीढ़ियों से चले आ रहे अपने सोने के गहने को सहेजकर रखती हैं और मुश्किल वक्त में ही इन गहनों को बेचती हैं। वहीं, नई उम्र की बहू-बेटियों को सोने की पुरानी ज्वेलरी नहीं भाती। वे ट्रेंड के हिसाब से ज्वेलरी पहनना चाहती हैं। ऐसे में आपको यह ध्यान रखना होगा कि कहीं आपका पुराना खरा सोना ठगी की भेंट तो नहीं चढ़ रहा है। आइए-जानते हैं कि पुराने सोने को मुफ्त में नया गहना बनाने के नाम पर क्या खेल होता रहा है।
100% शुद्ध होने के झांसे से बचें
गोल्ड तो गोल्ड ही है। चाहे वह पुराना हो या नया, सदियों से उसकी बादशाहत बनी हुई है। हालांकि, सोना कितना ही खरा क्यों न हो, वह 100% शुद्ध नहीं हो सकता। दरअसल, सोना इतना सॉफ्ट मेटल है कि बिना मिलावट के उसके गहने बन ही नहीं सकते। यही वजह है कि सोने की शुद्धता मापने की यूनिट कैरेट के हिसाब से तय होती है। 24 कैरेट का सोना भी 99.9 फीसदी ही शुद्ध माना जाता है। आम तौर पर गहने 22 कैरेट, 18 या 14 कैरेट के बनवाए जाते हैं। इसकी शुद्धता की गणना ऐसे करते हैं – 22 कैरेट यानी 22/24×100 यानी 91.66 फीसदी सोने की शुद्धता है।
ग्राहकों को जानकारी न होने का उठाया जा रहा फायदा
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में एक प्रतिष्ठित ज्वेलरी शॉप में करीब 18 साल तक काम करने वाले योगेंद्र चौहान बताते हैं कि देश में कहीं भी कोई भी ज्वेलर हो, उसका अपना एक कोडवर्ड होता है, जिसमें वह बात करते हैं, जो सामने खड़ा ग्राहक भी जान नहीं पाता है। सोने के गहने में हेरफेर की कई तरह से गुंजाइश होती है। एक तो यह कि आप जो सोने का गहना लेकर जा रही हैं, उसके वजन या उसकी शुद्धता के बारे में आपको जानकारी नहीं होती है। गांवों और कस्बों में रहने वाली महिलाओं को यह भी पता नहीं होता है कि उस वक्त सोने का बाजार भाव क्या चल रहा है।
कोडवर्ड में करते हैं ऐसी बात कि आपको नहीं लग पाती भनक
ज्वेलर के ये कोडवर्ड हो सकता है कि आपको सुनने में भले ही लोकल लगें, लेकिन ये समझने में आसानी होगी कि किस तरह के कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे सुनार या ज्वेलर ग्राहक के सामने ही गलाई वाले से आपके सोने की शुद्धता कम बताने को कहेंगे। इन अंकों को ऐसे समझें- सांग का मतलब 1, सवांग 2, एकवाई 3, फोग 4, बुध 5, डहक 6, पड़त 7, मंग 8, कोन 9 और सलाय 10 है। वह गलाई वाले से कहेगा कि भाई ये हमारे बेहद अच्छे ग्राहक हैं, इनको जरा देखना एकदम बुध। यानी आपके सोने में शुद्धता वह 5 फीसदी कम ही बताएगा।
बाकी धातुओं की मिलावट का खेल भी खूब होता है, यह भी जानें
सोने के गहनों के पीछे के खेल के बारे में गाजियाबाद जिले में एक ज्वेलरी शॉप में काम करने वाले धीरेंद्र सिंह भी बताते हैं कि त्योहारी सीजन में गहने में मिलावट का खेल भी खूब होता है। जैसे कि आपका पुराना सोना 23 कैरेट का है तो उसका नया गहना बनाते वक्त सोने को 22 या 18 कैरेट में तब्दील कर दिया जाता है। बाकी का इसमें पीतल, तांबा, या कोई अन्य धातु मिला दी जाती है। वहीं, योगेंद्र चौहान बताते हैं कि पुराना सोने को देखकर सुनार सोने की गलाई का काम करने वाले से कोड वर्ड में आपके सामने ही बात करेगा कि पर्चे पर सोने में शुद्धता बताते वक्त हेरफेर कितना करना है। जैसे – मान लीजिए आपका पुराना सोना 10 ग्राम का है और 23 कैरेट यानी 95.83 फीसदी शुद्ध है तो वह कोड भाषा में इसे 22 कैरेट या कभी-कभी 18 कैरेट की पर्ची बनाने को कह सकता है।
जानकारी के अभाव में आपको हो सकता है 10 हजार तक का नुकसान, रहें सतर्क
मान लीजिए अभी 24 कैरेट सोने का बाजार भाव 50,000 रुपए प्रति 10 ग्राम चल रहा है। 22 कैरेट सोने का दाम 50000×22/24=45,833 रुपए होगा। अगर आपका पुराना सोना 22 कैरेट का है तो उसे 18 कैरेट बताए जाने पर उसकी कीमत बाजार भाव के हिसाब से 37,500 रुपए होगी। यानी आपसे शुरुआत में ही 8,333 रुपए का फायदा ले लिया जाएगा। इसके अलावा, अगर वजन में 1 ग्राम का भी हेरफेर बताया जाता है तो उसे 5,000 रुपए अतिरिक्त फायदा होगा। हालांकि, इसमें गलाई वाले और बनाने वाले का भी चार्ज होता है, जो करीब 5 हजार रुपए बैठता है। फिर भी सुनार को इस खेल से 8 से 10 हजार रुपए तक फायदा होता है। यही वजह है कि कई बार वह मुफ्त में पुराने सोने का नया गहना बनाने की पेशकश करते हैं।
अपने गहने का वजन जरूर चेक करें, हॉलमार्क देखकर ही खरीदें सोना
दिल्ली में करावल नगर स्थित एक ज्वेलरी शॉप में काम करने वाले रवींद्र चौरसिया (बदला हुआ नाम) के मुताबिक, महिलाएं अपने सोने का वजन जरूर चेक करें। दुकान पर आपके सोने के गहने के वजन में अक्सर 1 या 2 ग्राम का फर्क बता दिया जाता है, क्योंकि ज्यादातर महिलाओं को अपने पुराने सोने का वजन पता नहीं होता है। इससे भी आपको काफी नुकसान हो सकता है। जब भी पुराने सोने के बदले नया सोना खरीदना हो तो हॉलमार्क देखकर ही खरीदना चाहिए। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) हॉलमार्क तय करता है। साथ ही ज्वेलरी के मेकिंग चार्ज को लेकर मोल-भाव जरूर करें। ज्वेलरी कॉस्ट में करीब 30 फीसदी हिस्सा तो मेकिंग चार्ज ही होता है, जिससे ज्वेलर्स का फायदा होता है।
क्यों पुराने सोने के बदले में डिजाइनर ज्वेलरी दे रहे बड़े ज्वेलर्स? कैसे मिलता है फायदा
ज्वेलरी की शॉपिंग के लिए नोएडा का सेक्टर -18 मार्केट दिल्ली NCR का सबसे बड़ा शॉपिंग हब माना जाता है। यहां देशभर के सभी बड़े ज्वेलरी ब्रांड्स की दुकानें लाइन से सजी हैं। भास्कर वुमन टीम मार्केट का जायजा लेने पहुंची तो देखा कि ज्यादातर ज्वेलरी शॉप के बाहर आकर्षक ऑफर्स के साथ बोर्ड लगे हुए थे। किसी में एक्सचेंज ऑफर पर पुराना सोना देकर डिजाइनर ज्वेलरी देने का वादा किया हुआ था तो किसी ने मेकिंग चार्ज न लेने का वादा किया था।
भास्कर की टीम इंडियन ज्वेलरी ग्रुप मालाबार गोल्ड एंड डायमंड के शोरूम पहुंची। वहां देखा कि ज्यादातर महिलाएं अपने पति या घरवालों के साथ एक्सचेंज ऑफर के लिए पहुंची थी। मालाबार ग्रुप के बिजनेस डेवलपमेंट एंड मार्केटिंग के सीनियर मैनेजर संजीव शुक्ला ने बातचीत में बताया कि एक्सचेंज ऑफर से ग्राहक को ये फायदा पहुंचता है कि वे पुराने सोने के बदले में हॉलमार्क ज्वेलरी पाते हैं, और ज्वेलरी ब्रांड ज्यादा ग्राहक पाने की चाह में ऐसे ऑफर लाते हैं। मेकिंग चार्ज में डिस्काउंट देने के पीछे भी यही कारण है।
एक और बड़े ब्रांड ने अपना नाम न बताने की शर्त पर एक्सचेंज ऑफर की स्कीम पर भास्कर से बातचीत की। उन्होंने बताया कि जितने भी लोग ज्वेलरी खरीदते हैं वे उसके वजन और डिजाइन के अनुसार मेकिंग चार्ज भी खुशी से देते हैं। ब्रांड्स अपने ग्राहकों से कहते हैं कि वे बिल के बदले में कभी भी ज्वेलरी एक्सचेंज करवा सकते हैं, लेकिन जब भी ग्राहक नई ज्वेलरी लेता है तो उसे दोबारा मेकिंग चार्ज देना पड़ता है। इसी में ज्वेलर की कमाई होती है। मेकिंग चार्ज का रेट प्रति ग्राम होता है, जो डिजाइन के अनुसार 20- 30% तक हो सकता है। इसे इस तरह समझें कि अगर एक महिला 1 लाख रुपये में सोने के कंगन खरीदती है, तो उसे करीब 30 हजार रुपये मेकिंग चार्ज के रूप में चुकाने पड़ते हैं। एक महीने बाद उसी कंगन को वापस कर दोबारा नई डिजाइन के 1.5 लाख के भारी कंगन लेती है तो उसे पूरे सोने पर करीब 45 हजार मेकिंग चार्ज देना पड़ता है। ग्राहक को बिल पर गोल्ड की वैल्यू तो वही मिल जाती है लेकिन मेकिंग चार्ज दोगुना चुकाना पड़ता है। ज्वेलर एक ही कंगन सेट पर 75 हजार रुपये कमा लेता है।
क्या है BIS और हॉलमार्क ज्वेलरी, क्या हुए हैं बदलाव
हम जो भी सामान खरीदते हैं उसकी जांच और प्रमाण देने के लिए भारत सरकार एक संस्था बनाती है। भारत में सोने की शुद्धता जांचने का काम ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) करती है। आप जो भी ज्वेलरी खरीदती हैं उसपर अगर हॉलमार्क BIS का तिकोना मार्क बना है, तो इसका मतलब उस ज्वेलरी की टेस्टिंग लाइसेंस वाली लैब में हुई है। ज्वेलरी सरकार द्वारा प्रमाणित है। आप उसे बेफिक्र होकर खरीद सकती हैं।
ग्राहकों तक शुद्ध सोना पहुंचाने और उन्हें ज्वेलर की ठगी से बचाने के लिए भारत सरकार ने सभी ज्वेलर्स को सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी बेचने के आदेश जारी किए हैं। हालांकि ग्राहक को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। जिनके पास पहले से बिना हॉलमार्क वाली ज्वेलरी है वे उसे जरूरत पड़ने पर कभी भी बेच सकते हैं। BIS साल 2018 में ये नियम लाया था, लेकिन इस साल से नियम को सख्ती से लागू कराया जा रहा है। जिसका असर ज्वेलर से लेकर ग्राहकों पर भी दिखाई दे रहा है।
20% महिलाएं हॉलमार्क ज्वेलरी की चाह में बदल रहीं पुराना सोना
आमतौर पर महिलाएं पुरानी डिजाइन की ज्वेलरी को नई से बदलने के लिए ही अपने गहने एक्सचेंज कराती हैं, लेकिन सरकार के हॉलमार्क नियम से लोगों का नजरिया बदला है। मालाबार ज्वेलर्स से मार्केटिंग मैनेजर संजीव का कहना है कि जब से सरकार ने हॉलमार्क ज्वेलरी अनिवार्य की है, तब से करीब 20% लोग सिर्फ हॉलमार्क ज्वेलरी पाने की चाह में अपने गहने बदलवा रहे हैं। वहीं मनोहर लाल ज्वेलर्स के डायरेक्टर सुधीर सिंघल भास्कर से बातचीत में बताते हैं कि करीब 25% लोगों ने पिछले तीन महीने में पुरानी ज्वेलरी बदलकर हॉलमार्क ज्वेलरी खरीदी है।
18 और 22 कैरेट का सोने खरीदने के लिए 24 कैरेट सोना क्यों बेच रहीं महिलाएं?
जिन महिलाओं को शादी के समय लोकल ज्वेलरी शॉप पर बनी पुरानी डिजाइन की ज्वेलरी मिली थी, अब वो उसे हॉलमार्क ज्वेलरी से बदलने के लिए ज्वेलरी शॉप पर जा रही हैं। नोएडा की एक ज्वेलरी शॉप पर अपने बेटी के लिए गहने खरीदने पहुंची 47 वर्षीय संगीता बताती हैं कि आज हर ज्वेलरी शॉप पर कैरेट मीटर मशीन होती है, जहां वे ज्वेलरी खरीदते समय कैरेट का पता लगा सकती हैं, लेकिन 20 साल पहले ये तकनीक इतनी आम नहीं थी।
उस समय लोकल ज्वेलर ने मुझे 24 कैरेट का सोने का सेट बेचा था। आज कैरेट मशीन में वही सोने का सेट 22 कैरेट से भी कम का दिखा रहा है। इसलिए अब मैं अपने सारे पुराने गहने बदलकर नई डिजाइन की हॉलमार्क ज्वेलरी खरीद रही हूं। वह बताती हैं कि ज्यादातर डिजाइनर ज्वेलरी 22 से 18 कैरेट में तैयार की जाती है, क्योंकि ज्वेलरी के डिजाइन जितनी बारीक होती है उसे बनाते समय मजबूती देने के लिए ‘टांका’ लगाया जाता है। 24 कैरेट सोना काफी कमजोर होता है, इसमें बारीक डिजाइन नहीं बन सकते। जबकि 18 और 22 कैरेट की डिजाइनर ज्वेलरी ज्यादा टांके के साथ तैयार हो सकती है, इसलिए महिलाएं भी इसे ज्यादा पसंद कर रही हैं। मार्केट की ज्यादातर ज्वेलरी शॉप पर महिलाओं की खरीदारी या यही पैटर्न देखने को मिला।
महिलाएं ऐसे पता कर सकती हैं कितना खरा है घर में पड़ा सोना
चाहे आपके घर में पुराना खानदानी सोने का सेट रखा हो या फिर आप अभी-अभी ज्वेलरी शॉप से ब्रेंड न्यू नेकलेस लेकर आई हों। अगर आप ये जानना चाहती हैं कि ज्वेलरी में लगा सोना कितना खरा है, लेकिन अपने गहने को किसी ज्वेलर की नजर में नहीं लाना चाहतीं तो परेशान होने की जरूरत नहीं। आप ज्वेलरी शॉप पर जाए बगैर भी सोने की शुद्धता का पता लगा सकती हैं।
भारत सरकार से प्रमाणित ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) सेंटर्स बने हुए हैं। यहां ग्राहकों की सुविधा के लिए कैरेट मीटर मशीन लगाई गई है। मशीन में ज्वेलरी की तीन लेयर पर टेस्टिंग होती है और उसकी शुद्धता कैरेट में बताई जाती है। इस प्रॉसेस में ज्वेलरी की चमक पर कोई फर्क नहीं पड़ता। महिलाएं बिना डरे इसका इस्तेमाल कर सकती हैं। देशभर में लगभग 950 BIS सेंटर्स पहले से मौजूद हैं। रजिस्टर्ड BIS सेंटर पर पहुंचने के लिए महिलाएं BIS की वेबसाइट पर जाकर अपने शहर की BIS सेंटर्स की लिस्ट निकाल सकती हैं। मात्र 35 रुपये खर्च कर सोने की शुद्धता का पता लगा सकती हैं। इस जानकारी से महिलाएं बिना ठगी का शिकार हुए सही दाम पर सोना बेच और खरीद सकती हैं।
ज्वेलरी खरीदने जा रही हैं तो इस बातों का रखें खयाल
ज्वेलरी खरीदते समय ग्राहक को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। डिजाइन चुनने के बाद बिलिंग के समय महिलाएं इन स्टेप्स को फॉलो करें :-
ज्वेलरी में हॉलमार्क और BIS मार्क जरूर चेक करें।
- कैरेट मीटर में ज्वेलरी की शुद्धता जांचें।
- ज्वेलरी का वजन लें और उसे ज्वेलरी पर लिखे हुए वजन से मैच करें। स्टोन की ज्वेलरी खरीदते समय सोने और स्टोन के वजन को अलग-अलग तौलें। कई ज्वेलर्स डायमंड को भी सोने के भाव में तौल देते हैं, और सोने के भाव से डायमंड का पैसा ग्राहक से ठगते हैं। इसलिए बिल में सोने और डायमंड का कैरेट, वजन और रेट अलग-अलग लिखवाएं।
- हॉलमार्क का सर्टिफिकेट लें, ये चेक करें कि जो गहना आप ले रही हैं उसमें कैरेट वैल्यू कितनी है। यूनीक कोड और ज्वेलर का नाम लिखा है या नहीं। ज्यादातर ज्वेलर्स इससे बचते हैं, यहां ग्राहक को सतर्क रहने की जरूरत है।
- ज्वेलरी का बिल यानी इनवॉइस जरूर लें, बिना बिल के ज्वेलरी लेना ग्राहक के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
- ज्वेलर के मेकिंग चार्ज पर ध्यान दें, हर ज्वेलरी ब्रांड अपनी वेबसाइट पर इसकी जानकारी देता है। कई ज्वेलर इसे वेस्ट चार्ज या डिडक्शन चार्ज के नाम से भी बिल में शामिल करते हैं इसलिए पैसे देने से पहले इस पर जरूर बात करें।
सोना एक्सचेंज कर रहीं हैं तो इन बातों पर दें ध्यान, ऐसे पता लगाएं आपके सोना का सही भाव
ज्वेलरी शॉप पर गहने एक्सचेंज कराते समय चेक करें कि क्या आपका ज्वेलर्स इन बातों को फॉलो कर रहा है या नहीं।
1 – कैरेट मशीन में ज्वेलरी की शुद्धता और वजन की जांच
2 – गहना गलाने से पहले ग्राहक से डिक्लेरेशन फॉर्म पर साइन कराना
3 – गहने को गलाने के बाद उसकी शुद्धता और वजन की दोबारा जांच
4 – ग्राहक की बैंक डीटेल जमा करना
5 – गले हुए सोने की रसीद ग्राहक को देना
आपके सोने का सही वजन और शुद्धता पता लगने पर शहर में सोने का भाव पता लगाएं और उसी के बाद सोना बेचें या एक्सचेंज करें। हर शहर में सोने का रेट अलग होता है। जिसे सराफा बाजार तय करता है, हालांकि कुछ ज्वेलरी ब्रांड देशभर में सोने का एक भी भाव रखते हैं ये जानकारी आपको ब्रांड की वेबसाइट पर मिल सकती है।
कोरोना और मंदी में लोगों ने सबसे ज्यादा गिरवी रखा सोना, 30% लोगों ने गंवाए खानदानी जेवर
ऐसा पहली बार नहीं है कि जब लोग इतनी तेजी से सोना बेच रहे हैं और एक्सचेंज करा रहे हैं। ज्वेलरी मार्केट में 25 साल तक काम कर चुके ज्वेलर सुधीर सिंघल बताते हैं कि साल 1993 और 2007- 2008 में भी बहुत लोगों ने घर का पुराना सोना बाजार में गिरवी रखा था। इस समय भारत में मंदी का दौर था और सोना के भाव में अचानक उछाल आया था। हालात ऐसे थे कि लोगों ने पैसे के लिए घर के खानदानी जेवर तक बेचे थे। कोरोना काल में एक बार फिर यही दौर देखा गया। किसी ने अपनों की जान बचाने के लिए तो किसी ने बच्चों की स्कूल फीस भरने के लिए घर के जेवर गिरवी रखे। सुधीर बताते हैं कि कोरोना काल में भी आर्थिक संकट के चलते छोटे-बड़े शहरों में लोगों ने गहने गिरवी रखे थे। ज्वेलर्स की मानें तो आर्थिक दिक्कतों की वजह से करीब 30% लोग गिरवी रखे गहने वापस नहीं उठा सके।