10 साल की पत्रकारिता छोड़, गली गली सिम सिम शो को दिया नया मुकाम, बच्चों को मिल रही मुफ्त ई-शिक्षा
‘वो लड़की जो बचपन से सवालों का पिटारा अपने साथ रखती, जहां गलत होता देखती उसके खिलाफ आवाज उठाती। उम्र जरूर छोटी थी, पर सवाल बड़े थे। मेरी समतावादी सोच कब पत्रकारिता की ओर ले गई और वहां से सोशल वर्क में, पता ही नहीं चला। ये शब्द हैं गली गली सिम सिम शो को नया आयाम देने वाली सेसमी वर्कशॉप इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर सोनाली खान के। जीवन के 54 बसंत देख चुकीं सोनाली वुमन भास्कर से खास बातचीत में कहती हैं, ‘मेरा जन्म शिलांग में हुआ। 12वीं तक की पढ़ाई कोलकाता से और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में बीए किया। एमए, एमफिल सब जेएनयू से और बाद में जर्नलिज्म पढ़ा।
सवालों की धार तेज होती गई
शिक्षा ने मेरे सवालों की धार को पैना किया। समझ को विकसित किया। मेरे एक्टिव रहने का हासिल-ए-महफिल यह हुआ कि जल्द ही (1993 में) पत्रकारिता की फील्ड में नौकरी मिल गई। 10 साल खूब पसीना बहाकर काम किया। इसी बीच शादी हो गई और फिर बच्चे छोटे होने की वजह से इस करिअर पर अपना पॉज लगाना पड़ा।
बच्चों को अपनी ममता से दूर नहीं रख सकती थी, इसलिए उनके साथ समय बिताना जरूरी था। मैं शरीर से जरूर घर पर रहती, लेकिन दिल-दिमाग हमेशा कुछ बदलने के बारे में सोचता रहता।
घरेलू हिंसा की खबरों से पटे अखबार, रोज किसी अजन्मी का भ्रूण किसी कचरे में मिलने की खबर मुझे झकझोरता। कुछ समय फ्रीलांसिंग करने के बाद ब्रेकथ्रू संस्था में कंट्री डायरेक्टर के पद पर काम किया।
महिला और बच्चों के मुद्दों पर किया काम
यहां जेंडर बेस्ड वायलेंस, सेक्सुअल वायलेंस और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर ‘बेल बजाओ’ कैंपेन शुरू किया। यह कैंपेन घरेलू हिंसा के खिलाफ बोलने के लिए प्रेरित करता है।
‘बेल बजाओ’ इतना सफल रहा कि देश ही नहीं विदेश में भी इसका डंका बजा।
खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाते हैं
ब्रेकथ्रू के साथ 13 साल महिला और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर काम किया। वर्ष 2018 में सेसमी वर्कशॉप इंडिया को जॉइन किया। इस संस्था से जुड़कर मेरी पहचान में
और चार चांद लग गए। अब मैं सेसमी वर्कशॉप इंडिया की मैनेजिंग डायरेक्टर हूं।
सेसमी वर्कशॉप वह संस्था है जिसने अमेरिकी शो गली गली सिम सिम तैयार किया। उसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ी कि अलग-अलग देशों में भी यह शो प्रसारित होने लगा। पिछले 16 सालों से सेसमी वर्कशॉप इंडिया इस शो को दूरदर्शन पर चला रहा है, जहां आप मपेट्स यानी कठपुतली के जरिए बच्चों को मस्ती के साथ शिक्षित कर सकते हैं।
‘गली गली सिम सिम’ को नया आयाम
अभी तक यह शो दूरदर्शन पर ही आता था। कोविड के दौरान हमने सेसमी वर्कशॉप इंडिया नाम से यूट्यूब चैनल बनाया और यहां भी गली गली सिम सिम शो को दिखाया। हमारा उद्देश्य है कि हर बच्चे तक मुफ्त में शिक्षा पहुंचे।
बच्चों को गंभीर बातें समझ नहीं आतीं, ऐसे में उनके अंदाज में, हंसी मजाक में कैसे शिक्षित करें, यह बड़ा टास्क रहा। बच्चों के साथ-साथ हम पेरेंट्स को भी शिक्षित कर रहे हैं। बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ घरेलू हिंसा, बाल विवाह, मेंटल हेल्थ, आंगनबाड़ी वर्कर्स की परेशानियां भी हमारे प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर हम काम कर रहे हैं।
मेरी परवरिश पर फ़ख्र
समाज में बदलाव लाना इतना आसान नहीं। लोगों की सोच बदलना बहुत बड़ा टास्क है। पर मुझे फख्र है कि बचपन से ऐसी परवरिश मिली कि मेरा व्यक्तित्व बदलाव लाने वाला बना। सवाल करने वाला बना।
मुझे याद है पापा हमेशा कहा करते थे कि तुम्हें जो करना है करो, अगर कुछ गलत हो भी गया तो हम देख लेंगे। पेरेंट्स की तरफ से सपोर्ट मिलना बच्चों की पर्सनैलिटी को नया आयाम देता है।
पेरेंट्स बच्चों का दें साथ
यहां तक पहुंचने में ऐसा नहीं है कि हमेशा सफलता ही मिली, हार भी हुई। लेकिन उस हार का सामना करना सीखा और गलतियों से सीखा। मुझे लगता है हर पेरेंट को अपने बच्चे को कॉन्फिडेंस देना चाहिए ताकि वे समाज में बदलाव लाने वाले हिम्मती बच्चे बनें।