दिल्ली में वायु प्रदूषण से हर साल 15 लाख लोगों की गई जान, 9 साल घट जाएगी हर शख्स की उम्र’, रिपोर्ट में किया दावा
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में पिछले तीन दिनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. इसके पीछे दो कारण है. एक तेजी से पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं. 3,500 जगहों पर पराली जलने की घटनाएं हो रही हैं.
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से हर साल 15 लाख लोगों की मौत होती है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रहने वाले लोग वायु प्रदूषण के कारण अपने जीवन के 9.5 साल खो देते हैं.लंग केयर फाउंडेशन का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण हर तीसरे बच्चे को अस्थमा है. पर्यावरणविद् विमलेन्दु झा. राजधानी दिल्ली और एनसीआर में दीवाली के मौके पर खूब आतिशबाजी हुई, जिसके बाद वायु गुणवक्ता गंभीर श्रेणी में पहुंच गई. बड़ी बात यह है कि दिल्ली में प्रदूषण का 5 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. हालांकि आज दिल्लीवासियों को प्रदूषण से कुछ राहत मिल सकती है, क्योंकि आज 10 से 15 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से हवा चलने के आसार हैं.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में पिछले तीन दिनों से प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. इसके पीछे दो कारण है. एक तेजी से पराली जलने की घटनाएं बढ़ी हैं. 3,500 जगहों पर पराली जलने की घटनाएं हो रही हैं. कुछ लोगों ने दीपावली पर जानबूझकर पटाखे जलाए जिसके कारण भी AQI स्तर बढ़ा है. बीजेपी ने इसलिए पटाखे जलवाए कि ग्रीन पटाखे नहीं थे.
2016 में AQI लेवल 431 तक पहुंचा
ला नीना की बात करें तो अभी उसको लेकर भारतीय मौसम विभाग ने किसी भी तरह की कोई प्रेडिक्शन नहीं की है. ठंड ज्यादा होना प्रदूषण को बढ़ाने का कारण नहीं होता है. अभी प्रदूषण इसलिए ज्यादा है, क्योंकि अभी पराली जलाई जा रही है. दीवाली पर पटाखे चलाये गए और साथ ही हवा भी बिल्कुल नहीं चली. लेकिन ये सब नवम्बर तक रहेगा, उसके बाद ठीक हो जाएगा.दिवाली के आसपास राजधानी की हवा खतरनाक स्तर पर पहुंचती रही है. यही वजह है कि वर्ष 2016 में दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक लेवल 431 तक चला गया था.
इसके एक साल के बाद इसमें कमी आई और 2017 में यह 319 रहा, हवा की गुणवत्ता तब भी हानिकारक श्रेणी में ही बनी रही. साल 2018 में 7 नवंबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 281 रहा, वहीं वर्ष 2019 में 27 अक्टूबर को यह 337 दर्ज किया गया. इसके एक साल बाद 2020 में 14 नवंबर को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 414 था, जो नया रिकॉर्ड बना. लेकिन इस बार दिवाली के दूसरे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्तर ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए और यह 531 पर पहुंच गया. वहीं, कुछ घंटों के अंतराल के बाद इसने एक बार फिर नया रिकॉर्ड कायम कर लिया है और यह 533 के लेवल पर पहुंच गया है, जो कि अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.