UP Assembly Elections 2022: मऊ विधानसभा पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का दबदबा, जानिए इस सीट से जुड़ी हर अपडेट

बीते दो दशकों से मऊ विधानसभा में मुख्तार अंसारी का इकबाल बुलंद है. पांच बार मुख्तार इस सीट से विधायक हैं.

उत्तर प्रदेश की मऊ विधानसभा सीट (Mau Assembly Seat) जो इन दिनों प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में सुर्खियों में है. मऊ विधानसभा सीट (Mau Assembly Seat) से बाहुबली मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) विधायक हैं. बीते दिनों मुख्तार अंसारी को पंजाब से बांदा में जेल लाया गया है. विधायक मुख्तार अंसारी भले ही मऊ के विधायक हों लेकिन आसपास की दर्जनों सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं.

दरअसल बीते दो दशकों से मऊ विधानसभा (Mau Assembly Seat) में मुख्तार अंसारी का इकबाल बुलंद हैं. पांच बार मुख्तार इस सीट से विधायक हुए हैं. जबकि बीते 15 सालों से सलाखों के पीछे हैं. इस सीट (Mau Assembly Seat) पर मुख्तार का चेहरा सबसे बड़ा माना जाता है. किसी समय यह सीट कम्युनिस्ट नेताओं का गढ़ मानी जाती थी.

जेल से मुख्तार की हनक

बीते 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा की लहर थी. मऊ जिले की चार विधानसभा सीटों में मऊ सदर सीट (Mau Assembly Seat) पर मुख्तार अंसारी का कब्जा बनाए रखा. मऊ विधानसभा (Mau Assembly Seat) के स्थानीय निवासी के मुताबिक इस विधानसभा में भी मुद्दे कुछ अलग नहीं है. विकास को लेकर तमाम सवाल हैं, लेकिन चुनाव यहां हिंदू बनाम मुसलमान और वर्चस्व का होता है. इस सीट पर मुख्तार अंसारी को हार बर्दाश्त नहीं है. पिछले 15 सालों से जेल से ही चुनाव जीत रहे हैं. चुनाव जीतने के पीछे सिर्फ बाहुबली की छवि नहीं बल्कि उनकी लोकप्रियता भी है. वह छोटी जातियों में मजबूत पकड़ रखते हैं. हालांकि इन दिनों जेल में भी मुख्तार के लिए मुश्किलें खड़ी हुई है. उनके करीबी और परिवार के अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है. उनके कई निर्माण ढहाए गए हैं. जिसको लेकर पूरे विधानसभा क्षेत्र में सरकार से नाराजगी का भी माहौल दिख रहा है. हालांकि एक खेमा सरकार की कार्यवाही से खुश भी है. हालांकि वह सामने खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. मऊ विधानसभा मुस्लिम बाहुल्य है. मुख्तार अंसारी मऊ विधानसभा सीट (Mau Assembly Seat) से पांचवी बार विधायक हैं. इस सीट पर आज भी अंसारी परिवार का दबदबा कायम है.

बीते चुनाव परिणाम

बीते चुनाव के आंकड़ों को देखें तो 1985 में सीपीआई से इकबाल अहमद विधायक हुए हैं. 1989 में मोबिन  बीएसपी से विधायक रहे. 1991 में इम्तियाज अहमद सीपीआई से विधायक रहे. 1993 में बसपा से नसीम विधानसभा पहुंचे. 1996, 2002, 2007, 2012, 2017 में मुख्तार अंसारी इस सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे. हालांकि 1996 में मुख्तार अंसारी बसपा से विधायक बने 2002 और 2007 में निर्दलीय रहे. 2012 में खुद की पार्टी बनाई. 2017 में 96793 वोट पाकर फिर बीएसपी से विधायक हैं. वहीं एसबीएसपी के महेंद्र राजभर 88095 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे.

जातीय आंकड़े

मऊ विधानसभा (Mau Assembly Seat) मुस्लिम बाहुल्य मतदाताओं की सीट है. मऊ विधानसभा में कुल 470666 मतदाता हैं. वहीं जातीय समीकरण की बात करें तो मुस्लिम 170000, 91000 अनुसूचित जाति, 45000 यादव, 45500 राजभर लगभग चौहान 42 हजार चौहान मतदाता है.

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