लोन देने वाली ऐप्स पर कसेगा शिकंजा ……. डिजिटल लोन कंपनियों को भारत में स्टोर करना होगा डेटा, RBI वर्किंग ग्रुप ने की कानून बनाने की सिफारिश
डिजिटल लेंडिंग (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या मोबाइल ऐप्स के जरिए लोन देना) को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से गठित वर्किंग ग्रुप (WG) ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट का मकसद ऐसी कंपनियों को कानूनी शिकंजे में कसकर ग्राहकों की सुरक्षा को बढ़ाना है। WG ने सभी डेटा को भारत में स्थित सर्वर में ही स्टोर करने और डिजिटल लेंडर्स (ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए लोन देने वाली कंपनियां) के लिए बेसलाइन टेक्नोलॉजी स्टैंडर्ड बनाने की सिफारिश की है।
रिपोर्ट को RBI की वेबसाइट पर गुरुवार को अपलोड किया गया। इस रिपोर्ट पर 31 दिसंबर, 2021 तक ईमेल के माध्यम से सुझाव दिए जा सकते हैं। इन सुझावों को देखने के बाद ही WG की रिपोर्ट पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। वर्किंग ग्रुप (WG) की स्थापना 13 जनवरी, 2021 को की गई थी। इसके चेयरमैन RBI के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर जयंत कुमार दास हैं।
नोडल एजेंसी और SRO स्थापित करने की सिफारिश
ग्रुप ने अपनी रिपोर्ट में नोडल एजेंसी के जरिए डिजिटल लेंडिंग एप्लिकेशन के वेरिफिकेशन प्रोसेस को पूरा करने की सिफारिश की है। नोडल एजेंसी को स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत के बाद गठित किया जाएगा। इसके अलावा, ग्रुप ने एक सेल्फ-रेगुलेटरी आर्गनाइजेशन (SRO) बनाने की सिफारिश भी की है। इसमें डिजिटल लेंडिंग इकोसिस्टम के सभी लोग शामिल होंगे।
अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कानून लाने की सलाह
ग्रुप ने लोन से जुड़ी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए ‘बैनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड लेंडिंग एक्टिविटीज एक्ट’ लाने का भी सुझाव दिया है। वर्किंग ग्रुप को अपनी रिसर्च में पता चला है कि वर्तमान में 100 लेंडिंग ऐप्स में से 600 अवैध हैं। ग्रुप ने ये भी सिफारिश की है कि लोन का डिसबर्समेंट उधारकर्ता के अकाउंट में किया जाए और सभी लोन सर्विसिंग डिजिटल लेंडर के बैंक अकाउंट में होनी चाहिए।
वर्किंग ग्रुप की अन्य सिफारिशें:
- वर्किंग ग्रुप ने सभी डेटा भारत में स्थित सर्वर में स्टोर करने की सिफारिश की है।
- बेसलाइन टेक्नोलॉजी स्टैंडर्ड बनाने की सिफारिश भी वर्किंग ग्रुप ने की है। सभी डिजिटल लेंडर्स को इसका पालन करना होगा।
- ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल लेंडर्स को लेडिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले एल्गोरिदम फीचर्स का डॉक्यूमेंटेशन करना होगा।
- सभी डिजिटल लेंडर्स को ऐनुअल परसेंटेज रेट सहित एक की-फैक्ट स्टेटमेंट स्टैडराइज्ड फॉर्मेट में देना होगा।
- डिजिटल लोन्स को लेकर कॉमर्शियल कम्युनिकेशन के लिए कोड ऑफ कंडक्ट बनाया जाएगा। इसे प्रस्तावित SRO तैयार करेगा।
- रिकवरी के लिए स्टैंडराइज्ड कोड ऑफ कंडक्ट भी प्रस्तावित SRO तैयार करेगा। इसे तैयार करने के लिए RBI की मदद ली जाएगी।