संसद समिति की रिपोर्ट ….. 100 करोड़ रुपए से कम घपला हो तो फरार घोषित हों, प्रत्यर्पण संधि की एक धारा अधिसूचित नहीं है

आर्थिक अपराध कर देश से अरबों रुपए बटोर विदेश भाग चुके अपराधियों की वापसी में आने वाली बाधाओं के बारे में कई खुलासे हुए हैं। विदेश मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 100 करोड़ रुपए से कम के आर्थिक अपराध के आरोपी को फरार घोषित नहीं किए जाने के वर्तमान कानून को तुरंत खत्म किया जाए।

 

रिपोर्ट में एक अधिकारी ने बताया कि यदि सरकार भ्रष्टाचार के बारे में संयुक्त राष्ट्र(यूएन)संधि की एक धारा को मान ले तो आर्थिक अपराधियों की वापसी आसान हो सकती है। संधि की धारा 44 और 46 को ही अभी तक सरकार ने अधिसूचित किया है, इसमें प्रत्यर्पण की व्यवस्था नहीं है। प्रत्यर्पण के बारे में धारा 43 अभी अधिसूचित नहीं है। इसे अधिसूचित कर लागू करने पर सीबीआई और ईडी उन देशों से अपराधियों को ला सकेंगे जो यूएन की इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।

चार्जशीट नहीं गैर जमानती वारंट काफी

रिपोर्ट के अनुसार भारत ने अभी तक जो संधियां की हैं उसके अनुसार किसी अभियुक्त का ही प्रत्यर्पण हो सकता है। यानी प्रत्यर्पण के लिए चार्जशीट जरूरी है। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट सुझाव दे चुका है कि अभियुक्त का मतलब यह भी है कि उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है। यदि विदेश मंत्रालय गैर जमानती वारंट के अनुसार प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करे तो वापसी आसान हो सकती है।

4 साल में 21 के लिए अर्जी, 2 आए: रिपोर्ट

  • ब्लैकमनी संबंधी 2015 के कानून के बाद 13,900 करोड़ की अघोषित विदेशी सम्पत्ति के 439 केस दर्ज हुए हैं।
  • 2017 से 21 अपराधियों की वापस की पहल, अभी तक 2 अपराधी ही वापस आ पाए।
  • एक केस में 11 फरार वांछितों के लिए अर्जियां लगाईं एक की मंजूर, एक अन्य केस में 358 करोड़ की सम्पत्ति कुर्क हुई।

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