कठघरे में सोशल मीडिया ……..इंटरनेट मीडिया पर नियंत्रण को लेकर सुनवाई; वकील बोले- याचिका निरस्त की जाए, सरकार नई गाइडलाइन बना रही, कोर्ट ने कहा- जो आपत्ति है लिखित

इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक, वाट्सएप, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि को लेकर हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। वरिष्ठ अभिभाषक विवेक तनखा वाट्सएप की तरफ से उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिका 2011 की गाइडलाइन को चुनौती देते हुए दायर हुई।

केंद्र सरकार इंटरनेट मीडिया को नियंत्रित करने के लिए नई गाइडलाइन बना रही। संयुक्त संसदीय समिति ने इस पर काम शुरू कर दिया, इसलिए याचिका निरस्त की जाए। कोर्ट ने उनसे कहा कि जो भी आपत्ति है, वे छह सप्ताह में लिखित में पेश करें। याचिका में अब इंटरनेट मीडिया कंपनियों के विदेशी भागीदार भी पक्षकार होंगे। अगली सुनवाई फरवरी में होगी।

याचिका में ये मुद्दे उठाए हैं- धोखाधड़ी, अश्लीलता, सांप्रदायिक हिंसा और निजता भंग होने का प्लेटफॉर्म बन चुका है सोशल मीडिया

जनहित याचिका संस्था मातृ फाउंडेशन की ओर से एडवोकेट अमेय बजाज ने दायर की। इसमें कहा गया कि इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन जुआ, आर्थिक धोखाधड़ी सिखाई जा रही। इससे लोगों की निजता भंग हो रही है। ये प्लेटफॉर्म सांप्रदायिक हिंसा फैलाने से जुड़े आपत्तिजनक कंटेंट फैलाते हैं। इन पर अश्लीलता भरे फोटो व वीडियो की भरमार है। कॉपीराइट व ट्रेडमार्क का उल्लंघन करने के साथ ये प्लेटफॉर्म सरकार, सुरक्षा बल, न्यायपालिका व देश की धरोहरों का मजाक बना रहे हैं।

दलील- एक ही मुद्दे पर सुप्रीम व हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका नहीं चल सकती

वाट्सएप की ओर से एडवोकेट तनखा ने याचिका के चलने योग्य होने को चुनौती दी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि एक ही मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में अलग-अलग याचिका नहीं चल सकती। इस पर याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिका में मुद्दे अलग हैं। इस पर कोर्ट ने वाट्सएप के वकील से कहा कि वे लिखित में आपत्ति दें। कोर्ट उस पर विचार करेगी।

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