चुनाव आ गया है, नेता मांगे SUV …….. बड़ी गाड़ियों के लिए 6 महीने से ज्यादा की वेटिंग, पुरानी कारों का बाजार गरम
उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं। टिकट की आस लगाए नेताजी अपने क्षेत्र में अपना दबदबा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। तमाम शुभकामना संदेश वाली होर्डिंग, दीवारों पर नेताजी की बधाई तो इलाके में दिख ही रही है, अब भौकाल के लिए चमचमाती बड़ी गाड़ी भी चाहिए। इस गाड़ी से ही तो नेताजी का रुआब बनेगा। लोगों की नजर में ये गाड़ियां चढ़ेंगी तो इलाके में कुछ दिन बाद बताने की जरूरत नहीं होगी कि कौन आया है। गाड़ी ही देख, पहचान लिए जाएंगे नेताजी। चुनाव में चलना-फिरना ज्यादा होने की वजह से भी फिट एसयूवी एक जरूरत तो है ही।
लखनऊ में एसआरएम टाटा मोटर्स के मालिक पीयूष अग्रवाल बताते हैं कि चुनाव के समय निश्चित तौर पर गाड़ियों की डिमांड बढ़ जाती है। इस बार भी लोग आ रहे हैं। खासकर नेताओं की संख्या ज्यादा है लेकिन कम्पनी डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं दे पा रही है। इसकी वजह से 10 सप्ताह से ज्यादा की वेटिंग है। ऐसे में हम चाहकर भी उनको तत्काल गाड़ी नहीं दे पा रहे हैं। वहीं, पीआर हुंडई के मैनेजर देव बताते हैं कि उनके यहां क्रेटा में छह महीने की वेटिंग चल रही है। वह बताते हैं कि हर महीने लगभग 60 गाड़ियां बुक हो रही हैं। इसकी तुलना में कंपनी हमें केवल 15 गाड़ियां दे पा रही है।
5000 की बुकिंग लेकिन सप्लाई 1500 से कम
शोरुम मालिकों की मानें तो मौजूदा समय में 5000 से ज्यादा एसयूवी गाड़ियों की बुकिंग हो रखी है। लेकिन वे डिलीवरी 1500 से भी कम कर पाएंगे। ऐसे में हर आदमी आए दिन पैरवी करवाता रहता है। नारायण मोटर्स के टोनी तलवार बताते हैं कि उनके यहां थार समेत कई गाड़ियों की बुकिंग के बाद डिलीवरी की वेटिंग 3 से 7 महीने तक की है। हालांकि बोलेरो की डिलीवरी बुकिंग से डेढ़-दो महीने में मिल जा रही है।
पिताजी के जानने वाले नेता को नहीं दिला पा रहे गाड़ियां
कार देखो डॉट कॉम….लखनऊ के विनीत बताते हैं कि डिमांड की तुलना में पुरानी गाड़ियों की संख्या भी कम पड़ जा रही है। वह बताते हैं कि उनके पिताजी के एक मित्र, जो मंत्री हैं, वह तीन गाड़ियां चाहते हैं। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनका ऑर्डर पूरा नहीं किया जा पा रहा है।
बिक रही गाड़ियों में से 50 फीसदी बड़ी
विकास नगर में पुरानी गाड़ियों का काम करने वाले सतीश बताते हैं कि बड़ी SUV गाड़ियों की डिमांड काफी बढ़ी है। एक महीने में 20 गाड़ियां बिक रही हैं तो उसमें 10 गाड़ियां बड़ी होती हैं। इनकी कीमत 5 से 15 लाख रुपए तक होती है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर के महीने में यह बिक्री में बड़ी गाड़ियों की हिस्सेदारी महज 20 से 25 फीसदी तक थी। लेकिन अब बड़ी गाड़ियों की बिक्री का प्रतिशत 50 तक पहुंच गया है। जनवरी तक बिक्री में इनकी हिस्सेदारी 70 फीसदी तक जाने की उम्मीद है।
एक महीने में 3 हजार गाड़ियां बिक गईं
नवंबर के महीने में लखनऊ आरटीओ में करीब 3000 हजार पुरानी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। यहां डेटा बेस में काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि इसमें बड़ी गाड़ियों की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा है। उसके मुताबिक कई गाड़ियां बाहर के लोग खरीदते हैं, ऐसे में उसका रजिस्ट्रेशन संबंधित जिले के आरटीओ कार्यालय में होता है। बताया जा रहा है कि जनवरी तक आंकड़ा 5000 से ज्यादा का होगा। लखनऊ में छोटे – बड़े करीब 100 कार – बाजार हैं। फिलहाल वक्त की नजाकत को भांपते हुए कार बाजार के दुकानदार छोटी की जगह बड़ी गाड़ियां ज्यादा रख रहे हैं।