शिप्रा का पानी गंदा…… पर जल संसाधन मंत्री सिलावट का दावा- अधिकारी नहर के प्रस्ताव की कॉपी मुझे भेजें, मैं उसे स्वीकृत करवाऊंगा
जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने भास्कर से चर्चा में दावा किया है कि उज्जैन के अधिकारी नहर के प्रस्ताव की कॉपी उन्हें भेजे, वे उसे स्वीकृत करवाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि महाकाल की नगरी के लिए किसी भी काम मनाही नहीं है। इंदौर से आने वाले दूषित पानी के शिप्रा में मिलने से शिप्रा अक्सर मैली हो जाती है। हाल ही में शनिश्चरी अमावस्या पर्व पर भी ऐसा ही हुआ। प्रशासन ने इंदौर की तरफ से आने वाले दूषित पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए त्रिवेणी पर मिट्टी बांध बनाया था लेकिन वह ढह गया और शिप्रा मैली हो गई थी।
नदी में बड़ी संख्या में मछलियां भी मर गई और श्रद्धालुओं को दूषित जल में ही स्नान करना पड़ा था। इस अव्यवस्था को भास्कर ने मय चित्रों के उजागर किया था। जिम्मेदार अधिकारियों से नाराज साधु-संत 9 दिसंबर से शिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करवाने के लिए दत्त अखाड़ा घाट पर धरना दे रहे हैं। इनकी मांग है कि शासन इंदौर के दूषित जल को डायवर्ट करने के लिए नहर बनाएं।
बिंदुवार समझें नहर का प्रस्ताव को जो शासन को भेजा गया था
- प्रस्तावित नहर रामवासा के निचले क्षेत्र से शुरू होगी और खान डायवर्सन पाइप लाइन के समानांतर नदी के रूप में बढ़ेगी।
- रामवासा से शुरू होने वाली 85 फीट चौड़ी व 10 से 12 फीट गहरी यह नहर कालियादेह महल क्षेत्र में समाप्त होगी।
- इंदौर की तरफ से आने वाले गंदे पानी को रामवासा से नहर के जरिए कालियादेह महल क्षेत्र में शिप्रा में छोड़ा जाएगा।
- नहर में 465 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इनमें 385 करोड़ भूमि अधिग्रहण में जाएंगे। 100 से ज्यादा किसानों की जमीन अधिगृहित की जाएगी। प्रोजेक्ट काम शुरू होने के बाद तीन साल में पूरा होगा।
(नहर का यह प्रस्ताव जल संसाधन विभाग ने तैयार किया था और तत्कालीन संभागायुक्त
आनंद कुमार शर्मा ने इसकी जल्द स्वीकृति के लिए शासन को रिमाइंडर भी भेजे थे।)
नहर बनने से यह फायदे
शिप्रा जल दूषित नहीं होगा। स्नान और शहर को पीने के लिए साफ पानी मिलेगा।
पर्व स्नान पर बार-बार नर्मदा से पानी लाने की मशक्कत व बड़ा खर्च बचेगा।
किसान नहर के पानी सिंचाई कर सकेंगे। वे शिप्रा से पानी नहीं लेंगे।
नहर से आसपास के क्षेत्र का भू-जल स्तर बढ़ेगा।
प्रस्ताव मेरे आने से पहले का
प्रस्ताव मेरे आने से पहले का है। मैं दिखवाने के बाद ही कुछ कह सकता हूं।
संदीप यादव, संभागायुक्त
उसकी कॉपी निकलवाते है
प्रस्ताव हमारे विभाग से ही बना था। जल्द ही उसकी कॉपी निकलवाते हैं।
कमल कुवाल, कार्यपालन यंत्री, जल संसाधन