13 प्वाइंट्स में जानें श्रद्धालुओं के लिए क्या है खास … तंग गलियों-भीड़ से मिली मुक्ति, बाबाधाम 5 लाख वर्गफीट में फैला, 3 यात्री सुविधा केंद्र

वाराणसी में 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे। प्राचीन मंदिर के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए 5 लाख 27 हजार वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्रफल में इसे विकसित किया गया है। 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बने विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की सुविधाओं और सहूलियतों का खास ध्यान रखा गया है।

खास बात यह है कि पहले तंग गलियों में स्थित जिस विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी, वहां अब सुकून के साथ श्रद्धालु समय गुजार सकेंगे। धाम का मंदिर चौक क्षेत्र अब इतना विशाल है कि यहां 2 लाख श्रद्धालु खड़े होकर दर्शन-पूजन कर सकेंगे। इसके चलते अब सावन के सोमवारों, महाशिवरात्रि के दौरान शिव भक्तों को दिक्कत नहीं होगी।

काशी विश्वनाथ मंदिर के दोनों स्वर्ण शिखरों पर 1835 में महाराज रणजीत सिंह ने सोना चढ़वाया था। धाम के लोकार्पण से पहले दोनों स्वर्ण शिखरों की सफाई कराई गई है। साफ-सफाई के बाद स्वर्ण शिखर पहले से ज्यादा दमकने लगे हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर के दोनों स्वर्ण शिखरों पर 1835 में महाराज रणजीत सिंह ने सोना चढ़वाया था। धाम के लोकार्पण से पहले दोनों स्वर्ण शिखरों की सफाई कराई गई है। साफ-सफाई के बाद स्वर्ण शिखर पहले से ज्यादा दमकने लगे हैं।

3,000 वर्ग फीट क्षेत्रफल था पहले
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का क्षेत्रफल पहले 3,000 वर्ग फीट था। लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर के आसपास की 300 से ज्यादा बिल्डिंग को खरीदा गया। इसके बाद 5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा जमीन में लगभग 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से निर्माण किया गया। हालांकि, निर्माण कार्य अभी जारी है। इसमें प्रमुख रूप से गंगा व्यू गैलरी, मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट से धाम आने के लिए प्रवेश द्वार और रास्ता बनाने का काम है। गौरतलब है कि धाम के लिए खरीदे गए भवनों को नष्ट करने के दौरान 40 से अधिक मंदिर मिले। उन्हें विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के तहत नए सिरे से संरक्षित किया गया है।

5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्रफल में विकसित किए गए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में अब जगह की कोई कमी नहीं है।
5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्रफल में विकसित किए गए श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में अब जगह की कोई कमी नहीं है।

श्रद्धालुओं के लिए सहूलियतों को समझें 13 प्वाइंट्स में

  1. काशी विश्वनाथ का मंदिर अब गंगा से सीधे जुड़ गया है। श्रद्धालु जलासेन घाट, मणिकर्णिका और ललिता घाट पर गंगा स्नान कर सीधे बाबा धाम में प्रवेश कर सकेंगे।
  2. विशालकाय बाबा धाम के 3 यात्री सुविधा केंद्रों में श्रद्धालुओं को अपना सामान सुरक्षित रखने, बैठने और आराम की सुविधा मिलेगी।
  3. कला और संस्कृति की नगरी काशी में कलाकारों के लिए एक और सांस्कृतिक केंद्र की सौगात मिलेगी। दो मंजिला इमारत सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए है।
  4. विश्वनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए योग और ध्यान केंद्र के रूप में वैदिक केंद्र को स्थापित किया गया है।
  5. धाम क्षेत्र में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओें के लिए स्पिरिचुअल बुक सेंटर धार्मिक पुस्तकों का नया केंद्र होगा।
  6. श्रद्धालुओं के लिए बाबा की भोगशाला भी स्थापित की गई है। यहां एक साथ 150 श्रद्धालु बैठकर बाबा विश्वनाथ का प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे।
  7. सनातन धर्म में काशी में मोक्ष की मान्यता है। विश्वनाथ धाम में मुमुक्षु भवन बनाया गया है। इससे लगभग 100 कदम की दूरी पर महाश्मशान मणिकर्णिका है।
  8. विश्वनाथ धाम में प्रवेश के लिए 4 विशालकाय द्वार बनाए गए हैं। पहले यहां सिर्फ संकरी गलियां थीं।
  9. सुरक्षा के लिए हाईटेक कंट्रोल रूम बनाया गया है। पूरे धाम क्षेत्र में CCTV कैमरे लगाए गए हैं।
  10. धाम में आपातकालीन चिकित्सा सुविधा से लेकर एंबुलेंस तक की व्यवस्था रहेगी।
  11. वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट शॉप, हस्तशिल्प के सामान की दुकानें और फूड कोर्ट भी बनाए गए हैं।
  12. काशी को आनंद कानन भी कहा जाता था। इसे देखते हुए बाबा धाम में हरियाली की पर्याप्त व्यवस्था की गई है महादेव के प्रिय रुद्राक्ष, बेल, पारिजात के पौधों के साथ ही अशोक के पेड़ और तरह-तरह के फूल धाम परिसर में लगाए जा रहे हैं।
  13. धाम में दिव्यांगों और बुजुर्गों के आवागमन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। रैंप और एस्कलेटर की अत्याधुनिक सुविधा धाम में उपलब्ध है।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद काशी के 8 लाख घरों में 7,500 स्वयंसेवकों की टोली प्रसाद वितरण के लिए बनाई गई है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 3,361 प्रसाद वितरण केंद्र बनाए गए हैं।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद काशी के 8 लाख घरों में 7,500 स्वयंसेवकों की टोली प्रसाद वितरण के लिए बनाई गई है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 3,361 प्रसाद वितरण केंद्र बनाए गए हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर पर वर्ष 1194 से लेकर 1669 तक कई बार हमले हुए। 1777 से 1780 के बीच मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उसके बाद 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर परिक्षेत्र को एक नया स्वरूप देने का निर्णय लिया।
काशी विश्वनाथ मंदिर पर वर्ष 1194 से लेकर 1669 तक कई बार हमले हुए। 1777 से 1780 के बीच मराठा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। उसके बाद 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर परिक्षेत्र को एक नया स्वरूप देने का निर्णय लिया।

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