gwa… विजय दिवस ….. 1971 में 45 दुश्मन सैनिक मारे, पूड़ी-गुड़ खाकर लड़ते थे, पाक जेल में भी रहे, सर्दी में ठंडे पानी में खड़ा करवाया जाता

1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध को 50 साल हो गए हैं। इस युद्ध में भारतीय जवानों के शौर्य और साहस ने पाकिस्तान काे ऐसी करारी शिकस्त दी थी, जिसे वह हमेशा याद रखेगा। इस युद्ध में ग्वालियर के वीर सपूतों ने भी दुश्मन की मांद में घुसकर उसे ठिकाने लगाने और भारत काे जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी जीत की यादगार बनाए रखने के लिए हर साल 16 दिसंबर काे विजय दिवस मनाया जाता है। इस माैके पर पेश हैं ग्वालियर के वीर जवानों की कहानी, उन्हीं की जुबानी।

रिटायर्ड कैप्टन विक्रम सिंह परिहार- पाक के 19 सैनिक मारे, फिर साल भर दुश्मन की कैद में रहे

3 दिसंबर 1971 की रात मैं छंब जोड़िया सेक्टर के नत्थू तिरवा में था। तभी दुश्मनों ने हमला कर दिया। जवाब में हमने भी फायरिंग कर पाकिस्तान के 19 सैनिक मार गिराए। दो दिन बाद दुश्मन ने हमला कर 19 साथियों सहित मुझे बंदी बना लिया। जेल में हमें सर्दी में ठंडे पानी में खड़ा कर टखनों पर डंडे मारे जाते थे। खाने में चने और 4 रोटियां दी जाती थीं। पाकिस्तान ने हमें 1972 में छोड़ा।

रिटायर्ड कर्नल डीपीएस भदौरिया- दुश्मन के 26 सैनिक मारे, दो दिन लगातार चली फायरिंग

जब युद्ध शुरू हुआ तब मैं पंजाब बॉर्डर पर था। दुश्मनों ने हमारे इलाके पर कब्जा जमा लिया था। मेरी कंपनी को दुश्मनों को खदेड़ने की जिम्मेदारी दी गई थी। 8 दिसंबर को हमने दुश्मन पर हमला कर 16 सैनिकों को मार गिराया। लगातार दो दिन की फायरिंग के बाद हमने अपने इलाके दुश्मन से आजाद करवा लिए। हमारी टुकड़ी सिर्फ पूड़ी और गुड़ खाकर मोर्चे पर लड़ती थी।

रिटायर्ड कर्नल आरसी सक्सेना- धर्मशाला से रातोंरात में पुंछ पहुंचकर संभाला था मोर्चा

1957 में आईएमए से पास आउट होने के बाद मेरी पहली पोस्टिंग नागालैंड हुई थी। 1965 के समय गुलमर्ग में था और 1971 में हमारा पड़ाव धर्मशाला में था। युद्ध की खबर मिलते ही रातोंरात मैं पुंछ इलाके पहुंचा और मोर्चा संभाला। मेरे अंडर सेना की 3 बटालियन थीं। दुश्मनों ने हमारे ऊपर अटैक किया और हमने भी कई दुश्मन सैनिक मार गिराए।

पूर्व सैनिक मुकुट सिंह जादौन- लड़ाई के दौरान, रैकी करने दुश्मन के इलाके में भी गया

मैं 1968 में फौज में भर्ती हुआ था। पहली पोस्टिंग गुरदासपुर हुई फिर पठानकोट भेजा गया। एक रात अचानक तेज धमाके की आवाज हुई। सूचना मिली कि पाकिस्तान ने हमला कर दिया है। 15 दिन की लड़ाई के दौरान मैं रैकी करने के लिए दुश्मन के इलाके में भी गया। टुकड़ी भी दुश्मन के इलाके में घुस गई। कभी हम भूखे तो कभी सिर्फ नमकीन खाकर लड़े।

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