Nirbhaya Fund: 30 रुपये में सुरक्षित होगी देश की बेटी! निर्भया फंड से 9764.30 करोड़ की योजनाएं, पीड़िताओं को क्या मिला?
Women Safety: निर्भया गैंगरेप मामले को नौ साल का वक्त हो गया है. इस केस के बाद महिला सुरक्षा के लिए निर्भया फंड की बनाया गया था. ताकि महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की जा सके.
9 Years of Nirbhaya Case: निर्भया गैंगरेप मामले को नौ साल पूरे हो गए हैं. साल 2012 के 16 दिसंबर की रात को निर्भया के साथ राजधानी दिल्ली में चलती बस में गैंगरेप किया गया था. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. दोबारा देश की किसी बेटी के साथ ऐसी दरिंदगी ना हो, इसके लिए निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) बनाया गया. इस फंड का मकसद महिला सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं शुरू करना और रेप पीड़िताओं को आर्थिक मदद देना था. फंड से बीते 8 साल में 9764.30 करोड़ रुपये की योजनाएं शुरू की गई हैं. जिसमें सेफ सिटी प्रोजेक्ट भी शामिल है.
इस रकम में से पीड़ितों को आर्थिक मदद के तौर पर महज 200 करोड़ रुपये ही दिए गए. आज इस फंड से जुड़े कुछ सवालों का जवाब तलाशते हैं, जैसे- फंड कहां खर्च हुआ? सरकार की सेफ सिटी में महिलाएं अब कितनी सुरक्षित हैं? क्या उनके लिए खर्च की जा रही रकम पर्याप्त है? केंद्र सरकार (Central Government) ने साल 2013 में निर्भया फंड की घोषणा की थी. शुरुआत में 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए. फिर साल 2014-15 और 2016-17 में 1000-1000 करोड़ रुपये और आवंटित हुए.
छह साल में 20 फीसदी से कम खर्च
2015 में एक बदलाव करते हुए सरकार ने निर्भया फंड के लिए गृह मंत्रालय की जगह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (डब्ल्यूसीडी) को नोडल एजेंसी बना दिया (Use of Nirbhaya Fund). मंत्रालय के 2019 के आंकड़े बताते हैं कि निर्भया फंड के तहत देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जितना पैसा आवंटित कराया गया है, उसमें से उन्होंने 20 फीसदी से भी कम हिस्से का ही इस्तेमाल किया. हैरानी की बात ये है कि 2015 तक केवल 1 फीसदी पैसा खर्च हुआ है. अधिकतर राज्यों ने अपने फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया. केवल पांच राज्यों- दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश- ने कुल आवंटन का 57 प्रतिशत इस्तेमाल किया है.
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश | 2020- रिलीज किया गया फंड | 2020- इस्तेमाल होने वाला फंड | 2021- रिलीज किया गया फंड | 2021- इस्तेमाल होने वाला फंड |
दिल्ली | 400.48 | 352.58 | 413.27 | 404.38 |
राजस्थान | 45.97 | 25.49 | 100.88 | 79.44 |
मध्य प्रदेश | 57.10 | 30.87 | 155.96 | 86.83 |
गुजरात | 123.85 | 116.98 | 208.13 | 172.7 |
देशभर में कुल | 2159.54 | 1774.20 | 4087.37 | 2871.42 |
(रकम करोड़ में है)
केंद्रीय मंत्री ने क्या बताया
?केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने फंड को लेकर राज्यसभा में कहा कि महिला सुरक्षा पॉलिसी पर काम कर रही कमेटी ने 2021-22 के लिए 9764.30 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया है. जिसमें से मंत्रालय ने 4087.37 करोड़ रुपये योजनाओं के लिए जारी किए. साथ ही इनमें से 2871.42 करोड़ योजनाओं पर खर्च किए गए. इसी साल फरवरी में चैरिटी ऑक्सफैम इंडिया की एक रिपोर्ट में फंड को लेकर अहम जानकारी दी गई. रिपोर्ट में 2018 से 2021 तक के फंड के बजट का विशलेषण किया गया था. इसमें कहा गया कि फंड उन महिलाओं तक सीधा नहीं पहुंचा, जिनके लिए इसे बनाया गया.
साल में केवल 30 रुपये खर्च
इसमें कहा गया कि देश में हर 15 मिनट में एक महिला के साथ बलात्कार होता है. लेकिन सरकार उसकी सुरक्षा के लिए सिर्फ 30 रुपये सालाना खर्च कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, इस फंड का इस्तेमाल बलात्कार या घरेलू हिंसा की पीड़ितों के लिए क्राइसिस सेंटर (संकट के समय के लिए केंद्र) , महिलाओं के लिए आश्रय स्थल बनाने, महिला पुलिस स्वयंसेवकों और एक महिला हेल्पलाइन केंद्र स्थापित करने के लिए किया गया है. इसके अलावा देश में 700 वन स्टॉप सेंटर बनाए गए हैं. यहां महिलाएं पुलिस सेवा, उनसे परामर्श और डॉक्टर की सलाह ले सकती हैं. उनके लिए 480 शेल्ट होम भी हैं. यहां घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं रह सकती हैं.